बस्ती जिले के कलवारी क्षेत्र में बृहस्पतिवार, 18 दिसंबर को इस सीजन का सबसे ठंडा दिन दर्ज किया गया। पूरे दिन घना कोहरा और बादलों की चादर छाई रही, जिससे सूर्यदेवता केवल एक घंटे के लिए ही दिखाई दिए। पर्याप्त धूप न मिलने के कारण दिनभर कड़ाके की ठंड महसूस की गई, जिसने सामान्य जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। सुबह से चली शीतलहर और गलन ने लोगों को घरों में रहने पर मजबूर कर दिया। सड़कों पर आवाजाही काफी कम रही। आवश्यक कार्यों से बाहर निकले लोग गर्म कपड़ों में पूरी तरह ढके हुए थे। ठंड से बचाव के लिए अलाव ही लोगों का मुख्य सहारा बने रहे। कलवारी क्षेत्र के उमरिया, सोंधिया घाट, सेमरा चिंगन और कुसौरा बाजार सहित कई ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में लोग अलाव के पास बैठकर ठंड से राहत पाने का प्रयास करते देखे गए। सुबह और शाम के समय ठंड का प्रकोप विशेष रूप से अधिक रहा। घने कोहरे के कारण दृश्यता (विजिबिलिटी) काफी कम हो गई थी, जिससे वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा और कई स्थानों पर वाहन धीमी गति से चलते देखे गए। इस कड़ाके की ठंड का सबसे अधिक असर बुजुर्गों, बच्चों और दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। दिहाड़ी मजदूरों के लिए काम पर निकलना मुश्किल हो गया, जिससे उनकी दैनिक आय भी प्रभावित हुई। बाजारों में भी ठंड का असर स्पष्ट दिखाई दिया। कुसौरा बाजार और आसपास के क्षेत्रों में दुकानदारों ने सुबह देर से दुकानें खोलीं, वहीं ग्राहकों की संख्या भी कम रही। चाय की दुकानों और अलाव के आसपास लोगों की भीड़ देखी गई। ग्रामीण इलाकों में किसान भी खेतों की ओर जाने से बचते रहे। स्थानीय लोगों के अनुसार, ऐसी कड़ाके की ठंड कई वर्षों बाद पड़ रही है। दिनभर धूप न निकलने से ठंड और बढ़ गई है। लोगों ने प्रशासन से सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था बढ़ाने और जरूरतमंदों को कंबल वितरण की मांग की है।









































