निचले खेतों में जलभराव, धान कटाई बनी चुनौती:इटवा में किसान 4500 रुपये प्रति घंटे पर करा रहे पानी वाली मशीन से कटाई

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इटवा विकास क्षेत्र के निचले इलाकों में भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। इससे धान की कटाई में किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सामान्य कंबाइन मशीनें खेतों में नहीं चल पा रही हैं, जिसके चलते किसानों को पानी में चलने वाली विशेष कंबाइन मशीनों का उपयोग करना पड़ रहा है। इन विशेष मशीनों से धान की कटाई कराने पर किसानों को 4500 रुपये प्रति घंटे की दर से भुगतान करना पड़ रहा है। जलभराव के कारण कई फसलें पानी में डूबकर सड़ गई हैं, और जो बची हैं उनकी पैदावार भी काफी कम हुई है। किसान कम पैदावार से मायूस हैं और उन्हें अपनी लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है। किसानों के अनुसार, इस साल धान की फसल को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ी है। जुलाई और अगस्त में नाममात्र की बारिश हुई, जिससे फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गईं। किसानों ने निजी साधनों से सिंचाई कर फसलों को बचाया। सितंबर के अंत में अच्छी बारिश से फसलों में जान आई और बालियां फूटने लगीं। हालांकि, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में आए मोथा चक्रवात के कारण हुई भारी बारिश से निचले खेतों में जलभराव हो गया और खड़ी फसलें गिर गईं। खालिक, राम पाल, मोतीलाल, इकरामुद्दीन, राजकुमार, राजू और राकेश जैसे किसानों ने बताया कि रोपाई के समय भी कम पानी था, फिर भी पूंजी लगाकर धान की रोपाई की गई। समय पर खाद भी नहीं मिली। जब फसल तैयार हुई तो मोथा चक्रवात की बारिश से जलभराव हो गया। अब 4500 रुपये प्रति घंटे की दर से मजबूरी में धान की कटाई करानी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि इस ‘तीहरी मार’ ने उनकी कमर तोड़ दी है। किसान अब जल्द से जल्द धान की कटाई पूरी करने में लगे हैं, ताकि अगली फसलों की बुवाई प्रभावित न हो।
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