डुमरियागंज में कवि सम्मेलन, शहीदों को किया याद:'एक शाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम' कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब

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डुमरियागंज के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज मैदान पर मंगलवार रात ‘एक शाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम’ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का भव्य आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में देश के नामचीन शायरों व कवियों ने अपनी रचनाओं से शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ा। कार्यक्रम की शुरुआत सरफराज राही ने नात पाक से की। सलोनी उपाध्याय ने बलिदानियों को याद करते हुए पढ़ा, “बलिदानियों की आहुति से भारत का शौर्य जिंदा है…”। शायर सरफराज राही ने राष्ट्रीय एकता का संदेश देते हुए कहा, “इस बस्ती में हिंदुस्तानी रहते हैं।” सुशील श्रीवास्तव सागर ने अपने गीत और कविताएं प्रस्तुत कीं, जिसमें उन्होंने पढ़ा, “वह नहीं अपना हुआ तो क्या जमाना छोड़ दूं…”। युवा शायरों में मजहर गोरखपुरी और दीदार बस्तवी ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। दीदार बस्तवी का यह शेर खूब सराहा गया, “पूछा किसी ने जब जात मेरी मैंने अपने बदन पर तिरंगा पहन लिया।” मुशायरे के दूसरे सत्र में, मशहूर शायरा तरन्नुम कानपुरी ने “जब तगाफुल आपका देखेंगे हम…” पढ़कर महफिल को सजाया। शायर शादाब आजमी और निकहत मुरादाबादी ने भी बेहतरीन कलाम पेश किए। आखिर में, मशहूर शायर अल्ताफ जिया मालेगांव ने माइक संभाला और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पढ़ा, “क्यों दूर हो मुझे मेरे नजदीक तो आओ, हाथों में मेरे फूल है तलवार नहीं है।” शायर जमील अख्तर जैदपुरी और मंजू गौतम ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर राही बस्तवी ने की, जबकि संचालन राम प्रकाश गौतम व जमील अख्तर जैदपुरी ने किया। इस अवसर पर डुमरियागंज विधायक सैय्यदा खातून, राजू पाल, रज्जन भाई टेंट, इनायतुल्लाह लिवास महल, डॉ रफीउल्लाह, शिव कुमार पांडे, फिरोज खान, अहमद फरीद अब्बासी, नौशाद मलिक, मंगेश कनौजिया, मुजीबुर रहमान सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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