बयारा डुमरियागंज के मल्हवार स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर पर आयोजित रुद्र महायज्ञ एवं मानस विराट संत सम्मेलन श्रीराम कथा का शुक्रवार रात समापन हो गया। इस अवसर पर कथावाचक पंडित सियाराम पांडेय ने भगवान राम और सीता के विवाह का प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान रामविवाह की सुंदर झांकी निकाली गई, जिसे देखकर श्रद्धालुओं ने खूब जयकारे लगाए। कथा के समापन पर प्रसाद का वितरण भी किया गया। श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कथावाचक पंडित सियाराम पांडेय ने बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा था। एक दिन माता सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया, जिसे देखकर राजा जनक आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जो भी शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। इसके लिए स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर विभिन्न राजाओं को निमंत्रण पत्र भेजे गए। स्वयंवर में एक-एक कर सभी राजाओं ने शिव धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष उठाया और जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, धनुष टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता और राम का विवाह संपन्न हुआ। माता सीता ने जैसे ही प्रभु राम को वरमाला पहनाई, देवतागणों ने फूलों की वर्षा की। इस अवसर पर सत्य नारायण पाण्डेय, रविन्द्र शर्मा, प्रमोद श्रीवास्तव, शिव कुमार, रानू शर्मा, पिंटू पाण्डेय, गिरिराज, रिंकू पाण्डेय, राम केश शर्मा सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।
डुमरियागंज में श्रीराम कथा का समापन:कथावाचक ने सुनाया सीता-राम विवाह प्रसंग, श्रद्धालुओं ने लगाए जयकारे
बयारा डुमरियागंज के मल्हवार स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर पर आयोजित रुद्र महायज्ञ एवं मानस विराट संत सम्मेलन श्रीराम कथा का शुक्रवार रात समापन हो गया। इस अवसर पर कथावाचक पंडित सियाराम पांडेय ने भगवान राम और सीता के विवाह का प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान रामविवाह की सुंदर झांकी निकाली गई, जिसे देखकर श्रद्धालुओं ने खूब जयकारे लगाए। कथा के समापन पर प्रसाद का वितरण भी किया गया। श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कथावाचक पंडित सियाराम पांडेय ने बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा था। एक दिन माता सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया, जिसे देखकर राजा जनक आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जो भी शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। इसके लिए स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर विभिन्न राजाओं को निमंत्रण पत्र भेजे गए। स्वयंवर में एक-एक कर सभी राजाओं ने शिव धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष उठाया और जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, धनुष टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता और राम का विवाह संपन्न हुआ। माता सीता ने जैसे ही प्रभु राम को वरमाला पहनाई, देवतागणों ने फूलों की वर्षा की। इस अवसर पर सत्य नारायण पाण्डेय, रविन्द्र शर्मा, प्रमोद श्रीवास्तव, शिव कुमार, रानू शर्मा, पिंटू पाण्डेय, गिरिराज, रिंकू पाण्डेय, राम केश शर्मा सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।









































