महराजगंज में धुरिया गोंड जनजातीय समाज के लोगों ने एक व्यक्ति विशेष और उससे जुड़े कथित गैंग पर भारत सरकार के राजपत्र और उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जारी शासनादेश के खुले उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर समाज के प्रतिनिधि अंगद गोंड ने डीएम को शिकायती पत्र सौंपते हुए निष्पक्ष जांच करके विधिक कार्रवाई करने की मांग की। शिकायत पत्र में बताया गया है कि भारत सरकार की ओर से लागू अनुसूचित जाति/जनजाति संशोधन अधिनियम-1976 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में गोंड जाति को पहले अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया था। बाद में अनुसूचित जाति/जनजाति संशोधन अधिनियम-2002 के तहत उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में गोंड/धुरिया जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में क्रमांक छह पर दर्ज किया गया था, जिसमें महराजगंज भी शामिल है। आरोप है कि विजय बहादुर चौधरी और आर.के. शर्मा सहित कुछ अन्य लोग मनगढ़ंत कागजात, तथाकथित सर्वे रिपोर्ट और गलत तथ्यों के आधार पर प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि गोंड/धुरिया जनजातीय समाज को फर्जी जनजाति बताकर अपमानित किया जा रहा है, जिससे समाज में भारी आक्रोश है। जिलास्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने आरोप को किया था खारिज पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि 10 अक्टूबर को हुई जिलास्तरीय स्क्रूटनी कमेटी की बैठक में इन लोगों की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों को निरस्त कर दिया था। बैठक के बाद समिति ने गोंड/धुरिया जनजाति के पक्ष में आदेश भी जारी किया था। इसके बावजूद कथित तौर पर बार-बार प्रायोजित तरीके से प्रशासन के समक्ष ज्ञापन और पत्र दिए जा रहे हैं। जनजातीय समाज के लोगों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और भारत सरकार की राजाज्ञा एवं शासनादेशों के उल्लंघन तथा जनजातीय समाज के अपमान के मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही की गई कार्रवाई से शिकायतकर्ताओं को अवगत कराने का भी अनुरोध किया गया है।
धुरिया गोंड को फर्जी जनजाति बताने पर आक्रोश: महराजगंज डीएम से की गई शिकायत, जांच व कार्रवाई की मांग – Rudhauli Bhawchak(Maharajganj sadar) News
महराजगंज में धुरिया गोंड जनजातीय समाज के लोगों ने एक व्यक्ति विशेष और उससे जुड़े कथित गैंग पर भारत सरकार के राजपत्र और उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जारी शासनादेश के खुले उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर समाज के प्रतिनिधि अंगद गोंड ने डीएम को शिकायती पत्र सौंपते हुए निष्पक्ष जांच करके विधिक कार्रवाई करने की मांग की। शिकायत पत्र में बताया गया है कि भारत सरकार की ओर से लागू अनुसूचित जाति/जनजाति संशोधन अधिनियम-1976 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में गोंड जाति को पहले अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया था। बाद में अनुसूचित जाति/जनजाति संशोधन अधिनियम-2002 के तहत उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में गोंड/धुरिया जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में क्रमांक छह पर दर्ज किया गया था, जिसमें महराजगंज भी शामिल है। आरोप है कि विजय बहादुर चौधरी और आर.के. शर्मा सहित कुछ अन्य लोग मनगढ़ंत कागजात, तथाकथित सर्वे रिपोर्ट और गलत तथ्यों के आधार पर प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि गोंड/धुरिया जनजातीय समाज को फर्जी जनजाति बताकर अपमानित किया जा रहा है, जिससे समाज में भारी आक्रोश है। जिलास्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने आरोप को किया था खारिज पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि 10 अक्टूबर को हुई जिलास्तरीय स्क्रूटनी कमेटी की बैठक में इन लोगों की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों को निरस्त कर दिया था। बैठक के बाद समिति ने गोंड/धुरिया जनजाति के पक्ष में आदेश भी जारी किया था। इसके बावजूद कथित तौर पर बार-बार प्रायोजित तरीके से प्रशासन के समक्ष ज्ञापन और पत्र दिए जा रहे हैं। जनजातीय समाज के लोगों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और भारत सरकार की राजाज्ञा एवं शासनादेशों के उल्लंघन तथा जनजातीय समाज के अपमान के मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही की गई कार्रवाई से शिकायतकर्ताओं को अवगत कराने का भी अनुरोध किया गया है।









































