बस्ती के वाल्टरगंज थाने में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। एंटी करप्शन टीम ने गुरुवार शाम थाने में तैनात एक दीवान को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि यह रकम मिट्टी लदी गाड़ियों को बिना रोक-टोक पास कराने के एवज में ली जा रही थी। वहीं, मामले के मुख्य आरोपी थाना प्रभारी (SHO) कार्रवाई से पहले ही फरार हो गए। एंटी करप्शन टीम के अनुसार, रिश्वत की यह रकम थाना प्रभारी के सरकारी आवास पर ली गई थी। शिकायतकर्ता मिट्टी का कारोबार करने वाला मनीष चौधरी है, जिसने टीम को बताया कि प्रति गाड़ी 5 हजार रुपए मासिक ‘हफ्ता’ तय था। इसी मासिक वसूली की किस्त के रूप में 15 हजार रुपए दिए जा रहे थे। टीम ने गुरुवार शाम करीब 3 बजे दीवान को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में करीब 8 घंटे की देरी हुई। रात 11:49 बजे जाकर मुकदमा दर्ज किया गया।सूत्रों का दावा है कि इस देरी के पीछे थाना प्रभारी को बचाने की कोशिशें चलती रहीं। एंटी करप्शन टीम की रिपोर्ट में SHO का नाम साफ तौर पर दर्ज था, इसके बावजूद कार्रवाई टलती रही। बताया जा रहा है कि जैसे ही एंटी करप्शन टीम की रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही पुलिस महकमे में हलचल मच गई। दबाव बढ़ा तो देर रात मुकदमा दर्ज करना पड़ा। गुरुवार को जैसे ही मामला उजागर हुआ, आरोपी SHO ‘मेडिकल लीव’ का सहारा लेकर चंपत हो गए। चर्चा है कि उन्होंने पहले खुद को सरकारी काम से इलाहाबाद रवानगी दिखाया और वापसी में कप्तानगंज सीएचसी से ‘बैक पेन’ का बहाना बनाकर दो दिन की मेडिकल लीव बनवा ली। एक थाना प्रभारी का इस तरह कानून से बचने की कोशिश करना उसकी संलिप्तता पर सवाल नहीं, बल्कि मुहर लगाता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस विभाग अपने ही दागी अफसर को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाएगा, या फिर ‘वांछित’ घोषित कर फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी। कानून नहीं, रेट लिस्ट चलती है मिट्टी का कारोबार करने वाले मनीष चौधरी की आपबीती से साफ है कि कई थानों में अब कानून नहीं, बल्कि ‘रेट लिस्ट’ चलती है। गरीब और मध्यम वर्ग के कारोबारी पुलिस की इस अवैध उगाही से परेशान हैं।अगर एक पीड़ित को न्याय के लिए एंटी करप्शन टीम का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है, तो यह जिले के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। जिले में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें यह मामला सिर्फ वाल्टरगंज थाने तक सीमित नहीं माना जा रहा। जानकारों का कहना है कि जिले के कई थानों में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। यह खुलासा पुलिस विभाग में चल रही ‘हफ्ता संस्कृति’ की ओर इशारा करता है, जिसे सिस्टम की मूक सहमति मिलती रही है। अब देखना यह है कि इस मामले में कार्रवाई सिर्फ दीवान तक सिमटती है या फरार SHO तक कानून का शिकंजा कसता है।









































