सिंचाई व्यवस्था बदहाल होने से किसानों की परेशानी बढ़ी:गेहूं की फसल पर संकट, निजी संसाधनों से सिंचाई करने से किसानों की लागत बढ़ी

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नगर पंचायत भारत भारी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। समय पर पानी न मिलने से किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं, खासकर रबी सीजन में बोई गई गेहूं की फसल पर संकट गहरा गया है। क्षेत्र की नहरों में लंबे समय से पानी नहीं छोड़ा गया है। कई सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं, जबकि कुछ स्थानों पर बिजली आपूर्ति की समस्या के कारण सिंचाई संभव नहीं हो पा रही है। इन समस्याओं के चलते किसान निजी साधनों पर निर्भर होने को मजबूर हैं। किसान डीजल पंप, निजी बोरिंग और किराए के संसाधनों से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं, जिससे उनकी लागत कई गुना बढ़ गई है। बढ़ती महंगाई के बीच यह अतिरिक्त खर्च किसानों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर रहा है। किसान राम कृष्ण, मनोज कुमार, सोनू प्रसाद, अब्दुल मुकीम और अतहर हुसैन सहित अन्य किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल को इस समय सिंचाई की सबसे अधिक आवश्यकता है। यदि समय पर पानी नहीं मिला तो उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। खाद और बीज के बढ़े दामों के बाद सिंचाई का अतिरिक्त खर्च उनकी कमर तोड़ रहा है। किसानों ने सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनकी ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। कई बार शिकायत के बावजूद न तो नहरों में पानी छोड़ा गया और न ही खराब नलकूपों की मरम्मत कराई गई है, जिससे किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द नहरों में पानी छोड़ा जाए, सरकारी नलकूपों को चालू कराया जाए और बिजली आपूर्ति सुचारु की जाए, ताकि फसलों को समय पर सिंचाई मिल सके। उनका कहना है कि यदि शीघ्र ही व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो फसल उत्पादन घट सकता है, जिसका सीधा असर किसानों की आय और क्षेत्र की कृषि व्यवस्था पर पड़ेगा। इस संबंध में प्रशासन का कहना है कि सिंचाई की व्यवस्था के लिए संबंधित विभाग एवं प्रशासन प्रयासरत है, जल्द ही किसानों की गेहूं सिंचाई की समस्या से निजात मिल जाएगी।
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