निजी उर्वरक फुटकर विक्रेताओं ने प्रशासनिक रवैये पर नाराजगी जताई है। उनका आरोप है कि राजस्व सहित अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा केवल निजी उर्वरक दुकानों की सघन जांच की जा रही है, जबकि सरकारी समितियों पर न तो कोई कार्रवाई हो रही है और न ही वहां हो रही अधिक दर पर बिक्री पर ध्यान दिया जा रहा है। दुकानदारों ने बताया कि निजी उर्वरक विक्रेताओं को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बाजार से 300 रुपए प्रति बोरी तक यूरिया खरीदना पड़ रहा है। इस संबंध में प्रशासन से कई बार शिकायत की गई है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय, जांच के नाम पर निजी दुकानदारों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और छोटी-छोटी कमियों पर उनकी दुकानें निलंबित की जा रही हैं। विक्रेताओं का आरोप है कि सरकारी समितियों पर खुलेआम अधिक दरों पर खाद बेची जा रही है, लेकिन उन पर कोई जांच या कार्रवाई नहीं होती। इसके विपरीत, निजी दुकानों पर बार-बार छापेमारी कर लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं, जिससे वे व्यापार करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। दुकानदारों ने मांग की है कि उर्वरक की जांच का अधिकार केवल कृषि विभाग को दिया जाए, क्योंकि वे इस समस्या को बेहतर ढंग से समझते हैं। उनका कहना है कि अन्य विभागों के हस्तक्षेप से समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि यदि किसी फुटकर विक्रेता पर अधिक दर पर बिक्री का आरोप लगता है, तो संबंधित थोक विक्रेता की भी तत्काल जांच की जाए, क्योंकि वही अधिक कीमत पर खाद उपलब्ध कराते हैं। यह मांगें उर्वरक फुटकर विक्रेता बिल गैर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा उठाई गई हैं।
उर्वरक जांच में भेदभाव का आरोप:सैकड़ों दुकानदारों ने जिला कलेक्ट पर प्रदर्शन किया
निजी उर्वरक फुटकर विक्रेताओं ने प्रशासनिक रवैये पर नाराजगी जताई है। उनका आरोप है कि राजस्व सहित अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा केवल निजी उर्वरक दुकानों की सघन जांच की जा रही है, जबकि सरकारी समितियों पर न तो कोई कार्रवाई हो रही है और न ही वहां हो रही अधिक दर पर बिक्री पर ध्यान दिया जा रहा है। दुकानदारों ने बताया कि निजी उर्वरक विक्रेताओं को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बाजार से 300 रुपए प्रति बोरी तक यूरिया खरीदना पड़ रहा है। इस संबंध में प्रशासन से कई बार शिकायत की गई है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय, जांच के नाम पर निजी दुकानदारों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और छोटी-छोटी कमियों पर उनकी दुकानें निलंबित की जा रही हैं। विक्रेताओं का आरोप है कि सरकारी समितियों पर खुलेआम अधिक दरों पर खाद बेची जा रही है, लेकिन उन पर कोई जांच या कार्रवाई नहीं होती। इसके विपरीत, निजी दुकानों पर बार-बार छापेमारी कर लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं, जिससे वे व्यापार करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। दुकानदारों ने मांग की है कि उर्वरक की जांच का अधिकार केवल कृषि विभाग को दिया जाए, क्योंकि वे इस समस्या को बेहतर ढंग से समझते हैं। उनका कहना है कि अन्य विभागों के हस्तक्षेप से समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि यदि किसी फुटकर विक्रेता पर अधिक दर पर बिक्री का आरोप लगता है, तो संबंधित थोक विक्रेता की भी तत्काल जांच की जाए, क्योंकि वही अधिक कीमत पर खाद उपलब्ध कराते हैं। यह मांगें उर्वरक फुटकर विक्रेता बिल गैर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा उठाई गई हैं।









































