श्रावस्ती को रेल से जोड़ने की मांग तेज:जंतर-मंतर पर धरना-सत्याग्रह का ऐलान, 2018 में मिली थी परियोजना को मंजूरी

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श्रावस्ती को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मांग को लेकर ‘श्रावस्ती को रेल से जोड़ो संघर्ष समिति’ ने एक बार फिर आंदोलन की घोषणा की है। समिति ने खलीलाबाद-बहराइच नई रेल लाइन परियोजना का कार्य श्रावस्ती, बलरामपुर और बहराइच जिलों में तत्काल शुरू कराने की मांग की है। इसके लिए दिसंबर 2025 के दूसरे पखवाड़े में नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना और सत्याग्रह करने का निर्णय लिया गया है। संघर्ष समिति के संस्थापक पंकज मिश्र ने बताया कि खलीलाबाद से बहराइच तक 240 किलोमीटर लंबी इस नई रेल लाइन परियोजना को अक्टूबर 2018 में मंजूरी मिली थी। इसकी कुल लागत 4940 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी। तत्कालीन रेल मंत्री ने 2 मार्च 2019 को इसका शिलान्यास किया था और उस समय परियोजना को वर्ष 2025 तक पूरा करने की घोषणा की गई थी। हालांकि, श्रावस्ती जिले में अभी तक न तो निर्माण कार्य शुरू हो सका है और न ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो पाई है। जबकि भूमि अधिग्रहण के लिए धनराशि संबंधित जिलों को पहले ही आवंटित की जा चुकी है। इसके विपरीत, संतकबीर नगर और सिद्धार्थ नगर में परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है। पंकज मिश्र के अनुसार, श्रावस्ती जिले को परियोजना के तीसरे चरण में रखा गया है। वर्ष 2018 का आवंटित बजट अभी तक उपयोग में नहीं लाया गया है। इसी के विरोध में समिति के सदस्य 24 दिसंबर को दिल्ली में धरना देंगे। इसमें श्रमिक वर्ग के लोग भी शामिल होंगे। समिति का कहना है कि वे केवल कागजी कार्यवाही नहीं, बल्कि धरातल पर काम देखना चाहते हैं। उनकी एक सूत्रीय मांग है कि श्रावस्ती में बजट के अनुसार रेल परियोजना का कार्य तुरंत शुरू किया जाए। पंकज मिश्र ने जोर देकर कहा कि यह परियोजना 2025 तक पूरी होनी थी, लेकिन 2025 समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष हैं और अभी तक दस किसानों को भी मुआवजा नहीं दिया गया है। रेल लाइन के निर्माण का कार्य तो बहुत दूर की बात है।

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