श्रावस्ती में औषधि निरीक्षक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले एक समाजसेवी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। समाजसेवी मनोज पाठक ने दावा किया है कि औषधि निरीक्षक पर कथित अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्हें निष्पक्ष जांच के बजाय बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। मनोज पाठक के अनुसार, उन्होंने औषधि निरीक्षक की कार्यशैली और नियमों के उल्लंघन को लेकर संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय उनके निजी जीवन को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हैं। मनोज पाठक ने इसे शिकायतकर्ता को डराने और चुप कराने की कोशिश बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को बदनाम करना नहीं, बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस मामले में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। जानकारों का मानना है कि यदि शिकायत में सच्चाई है तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, और यदि आरोप निराधार हैं तो तथ्यों के आधार पर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। फिलहाल, इस पूरे प्रकरण में उच्चाधिकारियों के निर्णय पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शासन-प्रशासन इस मामले का निस्तारण पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कैसे करता है।
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