श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का वर्णन:हल्लोर में कथावाचक ने बताया कैसे निभाएं दोस्ती, उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को भावविभोर किया

4
Advertisement

हल्लोर में कथा व्यास प्रेम शरण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के चरित्र को मित्रता का अनुपम उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इन दोनों की मित्रता से यह समझा जा सकता है कि दोस्ती कैसे निभाई जाती है। शास्त्री जी ने सुदामा के द्वारिका पहुंचने का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। महल का पता पूछकर जब वे आगे बढ़े, तो द्वारपालों ने उन्हें भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। सुदामा ने तब स्वयं को श्रीकृष्ण का मित्र बताया। द्वारपालों ने महल में जाकर प्रभु को बताया कि कोई सुदामा नाम का व्यक्ति उनसे मिलने आया है। सुदामा का नाम सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण तेजी से द्वार की ओर भागे। अपने सखा सुदामा को सामने देखकर उन्होंने उन्हें गले लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कहकर श्रीकृष्ण को आलिंगन किया, जिसके बाद श्रीकृष्ण उन्हें अपने महल में ले गए और उनका अभिनंदन किया। कथा के अंतिम दिन, कथाव्यास ने जीवन जीने की कला पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को भावविभोर किया। शास्त्री जी ने समझाया कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद प्राप्त होता है और इसे कैसे जीना चाहिए। उन्होंने सूर्यदेव से सत्रजीत को मिली स्यमंतक मणि, उसके खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिनों तक चले युद्ध का प्रसंग सुनाया। इसके बाद उन्होंने जामवंती और सत्यभामा सहित श्रीकृष्ण के सभी आठ विवाहों की कथा का वर्णन किया। कथाव्यास ने यह भी बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया। इस अवसर पर मुख्य यजमान कंचना सिंह, अनिल कुमार सिंह, गोपाल जी सिंह, हरि सिंह, अरुण कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, संजीव सिंह, राजन दुबे, शिव मुकुंद सिंह, रामेंद्र सिंह, उमेश सिंह, शिवराम सिंह, पप्पू सिंह, कुलदीप दुबे, बबलू सिंह, अखंड पाल, छोटे सिंह, मंगल मोदनवाल, भारत यादव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
यहां भी पढ़े:  एसएसबी ने बाल विवाह रोकथाम पर चलाया जागरूकता अभियान: महराजगंज के डोमा खाश इंटर कॉलेज में लोगों को किया जागरूक - Thuthibari(Nichlaul) News
Advertisement