हरैया सतघरवा के चौका गांव में एक संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रयागराज धाम से पधारे संत निर्मलदास करोडा साहब ने श्रद्धालुओं को सत्य मार्ग पर चलने का संदेश दिया। यह सम्मेलन प्रेम कुमार के आवास पर आयोजित हुआ। संत निर्मलदास करोडा साहब ने अपने संबोधन में कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी व्यक्ति को भगवान की भक्ति, माता-पिता, गुरु और गो सेवा करनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से गो सेवा के महत्व पर जोर दिया, जिससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने आगे बताया कि धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं और भगवान की कथा सुनने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। संत ने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित रामचरितमानस की चौपाई ‘बड़े भाग्य मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ यह ग्रन्थहि गावा’ का भी उल्लेख किया। संत निर्मलदास ने इस चौपाई का अर्थ समझाते हुए कहा कि मानव शरीर बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है। धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने की इच्छा स्वयं देवता भी रखते हैं। इस संत सम्मेलन में बजरंगी दास, साहब दास, जमुना दास, सूरदास, भंडारी दास, महंत सत्य प्रकाश दास, महंत शांति दास, राममोहन तिवारी, राकेश तिवारी, दीनबंधु तिवारी, सिपाही लाल, मनमोहन तिवारी और कल्लू दास कन्हैया दास सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
हरैया के चौका गांव में संत सम्मेलन:प्रयागराज के संत निर्मलदास ने दिया सत्य मार्ग का संदेश
हरैया सतघरवा के चौका गांव में एक संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रयागराज धाम से पधारे संत निर्मलदास करोडा साहब ने श्रद्धालुओं को सत्य मार्ग पर चलने का संदेश दिया। यह सम्मेलन प्रेम कुमार के आवास पर आयोजित हुआ। संत निर्मलदास करोडा साहब ने अपने संबोधन में कहा कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी व्यक्ति को भगवान की भक्ति, माता-पिता, गुरु और गो सेवा करनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से गो सेवा के महत्व पर जोर दिया, जिससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने आगे बताया कि धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं और भगवान की कथा सुनने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। संत ने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित रामचरितमानस की चौपाई ‘बड़े भाग्य मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ यह ग्रन्थहि गावा’ का भी उल्लेख किया। संत निर्मलदास ने इस चौपाई का अर्थ समझाते हुए कहा कि मानव शरीर बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है। धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने की इच्छा स्वयं देवता भी रखते हैं। इस संत सम्मेलन में बजरंगी दास, साहब दास, जमुना दास, सूरदास, भंडारी दास, महंत सत्य प्रकाश दास, महंत शांति दास, राममोहन तिवारी, राकेश तिवारी, दीनबंधु तिवारी, सिपाही लाल, मनमोहन तिवारी और कल्लू दास कन्हैया दास सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।









































