बस्ती जिले के रुधौली विकासखंड में पराली जलाने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। प्रशासन की सख्ती, जुर्माने की चेतावनी और लगातार जागरूकता अभियानों के बावजूद किसान अब भी खेतों में पराली जला रहे हैं। ताजा मामले तिगोड़िया संस्कृत विद्यालय के सामने के खेतों और अंदेवरा क्षेत्र से जुड़े हैं, जहाँ दिन और रात दोनों समय पराली जलती देखी गई। स्थानीय निवासियों के अनुसार, धुएं के कारण राहगीरों को आने-जाने में परेशानी हो रही है, वहीं पास के विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। प्रशासन की टीमों ने कई बार मौके पर पहुंचकर आग बुझाई है, लेकिन ये घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में किसानों से बातचीत में पराली जलाने के कुछ मुख्य कारण सामने आए हैं। इनमें पराली निस्तारण के उपकरणों की कमी, मजदूरों की उच्च लागत, फसल तैयार होने पर खेत जल्दी साफ करने का दबाव और पर्याप्त जागरूकता का अभाव शामिल हैं। कई किसानों का कहना है कि सीमित संसाधनों के कारण उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। उपजिलाधिकारी रुधौली मनोज प्रकाश और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने निगरानी बढ़ाने और चेतावनी के साथ जुर्माने की प्रक्रिया चलाने का दावा किया है। हालांकि, जमीन पर वास्तविक बदलाव नजर नहीं आ रहा है। अधिकारियों ने जांच कर विधिक कार्यवाही करने की बात कही है। स्थानीय लोगों जैसे माधव, सीताराम और सुशील ने सरकार तथा कृषि विभाग से किसानों को आधुनिक मशीनें, सब्सिडी और वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान हो सके।









