श्रावस्ती जिले में अजमेर शरीफ के महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की छठी शरीफ और 814वां उर्स अकीदत के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भिनगा, जमुनहा और इकौना समेत जिले के कई इलाकों में देर शाम जुलूस निकाले गए। इन आयोजनों में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की। उर्स के अवसर पर सुबह से ही दरगाहों और इबादतगाहों में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी। उलेमा की उपस्थिति में उर्स की सभी रस्में पूरी की गईं। देर शाम पारंपरिक जुलूस निकाले गए, जो निर्धारित मार्गों से होते हुए गंतव्य स्थलों तक पहुंचे। जुलूस के दौरान ‘ख्वाजा पिया की जय’ और ‘या ख्वाजा’ के नारों से क्षेत्र गूंज उठा। उर्स के दौरान खीर, जर्दा और विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की गईं। इन्हें बच्चों, बुजुर्गों और राहगीरों में प्रसाद (तबर्रुक) के रूप में वितरित किया गया। जगह-जगह शरबत और पानी की सबीलें भी लगाई गईं। महफिलों में नात-ए-पाक और कसीदे पेश किए गए, जिनमें सूफी कलाम के माध्यम से ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं और संदेशों को उजागर किया गया। आयोजित महफिलों में देश में अमन-चैन, आपसी भाईचारे और खुशहाली के लिए विशेष दुआएं मांगी गईं। फातिहा ख्वानी के उपरांत उलेमा ने ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उनका संदेश प्रेम, इंसानियत, समानता और आपसी सद्भाव का है, जिसके पालन से समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। इस आयोजन में मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदायों के लोगों ने भी भाग लेकर गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण प्रस्तुत किया। उर्स के दौरान पूरे क्षेत्र में सौहार्द और भाईचारे का माहौल बना रहा। अकीदतमंदों ने एक-दूसरे को उर्स की मुबारकबाद दी। श्रावस्ती जिले में ख्वाजा गरीब नवाज की छठी शरीफ और उर्स का यह आयोजन आस्था और भाईचारे की सूफी परंपरा का प्रतीक बना।






































