सर्दियों का मौसम शुरू होते ही हरे पेड़ों की अवैध कटाई एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। वन विभाग के प्रयासों और सरकारी जागरूकता अभियानों के बावजूद, बड़े पैमाने पर पेड़ों का कटान जारी है, जिससे पर्यावरण संतुलन प्रभावित हो रहा है। प्रदेश सरकारों ने कुछ विशेष प्रजाति के पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि, लकड़ी काटने वाले अक्सर इसी का बहाना बनाकर हरे-भरे पेड़ों को भी काट देते हैं। इससे वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्य विफल हो रहे हैं और अवैध कटान पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है। पेड़ों की इस अंधाधुंध कटाई का सीधा असर मौसम चक्र पर पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, गर्मियों में अत्यधिक गर्मी और सर्दियों में अपेक्षित ठंड न पड़ने जैसे मौसमी बदलाव देखे जा रहे हैं। यह स्थिति शुद्ध ऑक्सीजन की उपलब्धता को भी प्रभावित कर रही है, जिससे जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का मानना है कि पेड़ों की रक्षा के लिए सरकारों को ठोस कदम उठाने होंगे। वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन कर नए और सख्त कानून लागू करने की मांग की जा रही है, ताकि पेड़ों की अवैध कटाई पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सके। वर्तमान में, कई स्थानों पर पेड़ काटने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली जाती है, और हरे पेड़ों को अवैध रूप से काटा जा रहा है। इससे आम जनता को शुद्ध ऑक्सीजन की कमी और मौसमी बदलावों से उत्पन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में, वन दरोगा अजय कुमार ने बताया कि जानकारी मिलने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक इस मामले में कोई गंभीर जानकारी सामने नहीं आई थी। वन दरोगा अजय कुमार से जानकारी लेने पर बताया गया कि जानकारी मिली है उचित कार्रवाई की जाएगी अभी तक इसकी जानकारी नहीं थी









































