बलरामपुर स्थित सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग इन दिनों प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ ही कोहरगड्डी बांध विदेशी प्रवासी पक्षियों के मधुर कलरव से गूंज उठते हैं। नवंबर से जनवरी तक लगभग दो से तीन महीने के लिए ये जलाशय इन प्रवासी पक्षियों का अस्थायी ठिकाना बनते हैं, जहाँ वे विश्राम करते हैं और प्रजनन भी करते हैं। यहाँ आने वाले प्रमुख विदेशी पक्षियों में पिनटेल, कॉमन टील, मध्य यूरोप से आने वाले गैडवाल, तिब्बत व लद्दाख क्षेत्र के ब्राह्मणी डक तथा दक्षिण साइबेरिया से आने वाले नीलसर और लालासर शामिल हैं। इन दुर्लभ और आकर्षक पक्षियों की मौजूदगी से न केवल क्षेत्र की जैव विविधता समृद्ध हो रही है, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी नई पहचान मिल रही है। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग द्वारा वनकर्मियों की तैनाती की गई है। इसका उद्देश्य शिकार और अव्यवस्था पर रोक लगाना है। सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग वन्य जीवों के साथ-साथ पक्षियों की विविधता के लिए भी जाना जाता है। पिछले वर्ष देश-विदेश से आए पक्षी विशेषज्ञों के सर्वेक्षण में यहाँ लगभग 400 प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जो इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है। कोहरगड्डी ग्राम प्रधान नीलम,युवा समाजसेवी सुनील कुमार त्रिपाठी, सलीम अख्तर, जयसिंह गुप्ता, विनय गुप्ता, गुलाम रब्बानी, उदवराज और दानबहादुर सहित अन्य ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है। उन्होंने कोहरगड्डी बांध पर पर्यटकों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था और नियमित सफाई की अपील की है, ताकि यह क्षेत्र एक प्रमुख ईको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित हो सके।
सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग में विदेशी पक्षियों का आगमन:कोहरगड्डी जलाशय बना प्रवासी पक्षियों का सुरक्षित ठिकाना
बलरामपुर स्थित सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग इन दिनों प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ ही कोहरगड्डी बांध विदेशी प्रवासी पक्षियों के मधुर कलरव से गूंज उठते हैं। नवंबर से जनवरी तक लगभग दो से तीन महीने के लिए ये जलाशय इन प्रवासी पक्षियों का अस्थायी ठिकाना बनते हैं, जहाँ वे विश्राम करते हैं और प्रजनन भी करते हैं। यहाँ आने वाले प्रमुख विदेशी पक्षियों में पिनटेल, कॉमन टील, मध्य यूरोप से आने वाले गैडवाल, तिब्बत व लद्दाख क्षेत्र के ब्राह्मणी डक तथा दक्षिण साइबेरिया से आने वाले नीलसर और लालासर शामिल हैं। इन दुर्लभ और आकर्षक पक्षियों की मौजूदगी से न केवल क्षेत्र की जैव विविधता समृद्ध हो रही है, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी नई पहचान मिल रही है। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग द्वारा वनकर्मियों की तैनाती की गई है। इसका उद्देश्य शिकार और अव्यवस्था पर रोक लगाना है। सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग वन्य जीवों के साथ-साथ पक्षियों की विविधता के लिए भी जाना जाता है। पिछले वर्ष देश-विदेश से आए पक्षी विशेषज्ञों के सर्वेक्षण में यहाँ लगभग 400 प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जो इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है। कोहरगड्डी ग्राम प्रधान नीलम,युवा समाजसेवी सुनील कुमार त्रिपाठी, सलीम अख्तर, जयसिंह गुप्ता, विनय गुप्ता, गुलाम रब्बानी, उदवराज और दानबहादुर सहित अन्य ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है। उन्होंने कोहरगड्डी बांध पर पर्यटकों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था और नियमित सफाई की अपील की है, ताकि यह क्षेत्र एक प्रमुख ईको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित हो सके।









































