बलरामपुर के भारत-नेपाल सीमा से सटे गांवों में वन्यजीव के हमले के बाद दहशत का माहौल है। बीते 25 दिसंबर को एक ही दिन में एक भारतीय युवती और एक नेपाली महिला की मौत हो गई थी। हमले के पीछे तेंदुआ या बाघ होने की आशंका है, जिसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।हालांकि,बाघ की संभावित मौजूदगी को देखते हुए वन विभाग पूरी तरह सतर्क है और निगरानी बढ़ा दी गई है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग की दो टीमें 24 घंटे गांवों और जंगलों की निगरानी कर रही हैं।सुबह पगचिन्हों की जांच की जाती है और ट्रैकिंग कैमरों से हलचल पर नजर रखी जाती है।दोपहर में वनकर्मी गांव पहुंचकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हैं। रात में पटाखों और आग जलाकर वन्यजीवों को गांवों से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है। सोमवार रात से निगरानी को और पुख्ता करते हुए थर्मल ड्रोन भी उड़ाए जा रहे हैं। मंगलवार को विशुनपुर कोड़र गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया,जहां हालात सामान्य दिखे, लेकिन ग्रामीणों में डर बना हुआ है।गांवों के आसपास 10 ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं।वहीं,गांव से करीब दो किलोमीटर दूर बेलभरिया बीट में ग्रामीण लगातार बाघ दिखने का दावा कर रहे हैं। ग्रामीण प्रशांत गुप्त ने बताया कि रविवार को जंगल के चकरोड पर बाघ देखा गया था।अलीम ने भी सोमवार को बेलभरिया के पास बाघ दिखने की बात कही।वनरक्षक मयंकर सिंह ग्रामीणों से लगातार संपर्क में हैं और बताए गए स्थानों पर गश्त तेज कर दी गई है। वन क्षेत्र में ग्रामीणों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।ट्रैकिंग कैमरों की फुटेज और पगचिन्हों के जरिए वन्यजीव की पहचान की जा रही है।रात में पटाखों की आवाज और धुएं से जानवरों को गांवों से दूर रखने की रणनीति अपनाई जा रही है। निगरानी के लिए एक ट्रैक्टर भी तैनात किया गया है।सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ गौरव गर्ग ने बताया कि अब तक मिले पगचिन्ह तेंदुए के हैं, जबकि बाघ की कोई हलचल कैमरों में कैद नहीं हुई है।कैमरों में हिरण सहित अन्य वन्यजीव जरूर नजर आए हैं।थर्मल ड्रोन के जरिए रात की निगरानी जारी है और टीमें 24 घंटे सक्रिय हैं।
भारत-नेपाल सीमा पर वन्यजीव का हमला, दो मौतें:बलरामपुर में बाघ या तेंदुआ? थर्मल ड्रोन से रातभर निगरानी
बलरामपुर के भारत-नेपाल सीमा से सटे गांवों में वन्यजीव के हमले के बाद दहशत का माहौल है। बीते 25 दिसंबर को एक ही दिन में एक भारतीय युवती और एक नेपाली महिला की मौत हो गई थी। हमले के पीछे तेंदुआ या बाघ होने की आशंका है, जिसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।हालांकि,बाघ की संभावित मौजूदगी को देखते हुए वन विभाग पूरी तरह सतर्क है और निगरानी बढ़ा दी गई है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग की दो टीमें 24 घंटे गांवों और जंगलों की निगरानी कर रही हैं।सुबह पगचिन्हों की जांच की जाती है और ट्रैकिंग कैमरों से हलचल पर नजर रखी जाती है।दोपहर में वनकर्मी गांव पहुंचकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हैं। रात में पटाखों और आग जलाकर वन्यजीवों को गांवों से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है। सोमवार रात से निगरानी को और पुख्ता करते हुए थर्मल ड्रोन भी उड़ाए जा रहे हैं। मंगलवार को विशुनपुर कोड़र गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया,जहां हालात सामान्य दिखे, लेकिन ग्रामीणों में डर बना हुआ है।गांवों के आसपास 10 ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं।वहीं,गांव से करीब दो किलोमीटर दूर बेलभरिया बीट में ग्रामीण लगातार बाघ दिखने का दावा कर रहे हैं। ग्रामीण प्रशांत गुप्त ने बताया कि रविवार को जंगल के चकरोड पर बाघ देखा गया था।अलीम ने भी सोमवार को बेलभरिया के पास बाघ दिखने की बात कही।वनरक्षक मयंकर सिंह ग्रामीणों से लगातार संपर्क में हैं और बताए गए स्थानों पर गश्त तेज कर दी गई है। वन क्षेत्र में ग्रामीणों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।ट्रैकिंग कैमरों की फुटेज और पगचिन्हों के जरिए वन्यजीव की पहचान की जा रही है।रात में पटाखों की आवाज और धुएं से जानवरों को गांवों से दूर रखने की रणनीति अपनाई जा रही है। निगरानी के लिए एक ट्रैक्टर भी तैनात किया गया है।सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ गौरव गर्ग ने बताया कि अब तक मिले पगचिन्ह तेंदुए के हैं, जबकि बाघ की कोई हलचल कैमरों में कैद नहीं हुई है।कैमरों में हिरण सहित अन्य वन्यजीव जरूर नजर आए हैं।थर्मल ड्रोन के जरिए रात की निगरानी जारी है और टीमें 24 घंटे सक्रिय हैं।









































