फिर डराने लगा कोरोना!, नए वैरिएंट JN.1 ने बढ़ाई टेंशन, केंद्र सरकार ने भीड़ को लेकर जारी किया अलर्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने राज्य सरकारों को पत्र भेजा है, जिसमें देश में कोविड की स्थिति पर लगातार निगरानी बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा “केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार और सहयोगात्मक कार्यों के कारण हम कोविड के फैलने पर नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम हुए हैं. हालांकि, जैसे-जैसे कोविड-19 वायरस फैलता जा रहा है और इसका महामारी विज्ञान व्यवहार व्यवस्थित हो रहा है, भारत में मौसम की स्थिति और अन्य सामान्य रोगजनकों के प्रसार के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य में चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए गति बनाए रखना महत्वपूर्ण है.”
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने आगामी फेस्टिव सीजन को देखते हुए राज्यों को श्वसन स्वच्छता के पालन द्वारा बीमारी के फैलाव में वृद्धि के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएं करने की सलाह दी. सभी राज्यों को सलाह दी गई है कि वे सभी जिलों में कोविड परीक्षण दिशानिर्देशों के अनुसार पर्याप्त परीक्षण सुनिश्चित करें और आरटी-पीसीआर और एंटीजन परीक्षणों की अनुशंसित हिस्सेदारी बनाए रखें. उन्हें पता लगाने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पोर्टल सहित सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में नियमित आधार पर जिलेवार इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) मामलों की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए भी कहा गया है. मंत्रालय ने आरटी-पीसीआर परीक्षणों की संख्या बढ़ाने और भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) प्रयोगशालाओं में जीनोम अनुक्रमण के लिए सकारात्मक नमूने भेजने के लिए भी कहा, ताकि समय पर नए वेरिएंट का पता लगाया जा सके.
जानें कितना खतरनाक है जेएन.1
कोविड-19 का यह नया सब-वेरिएंट इम्यून सिस्टम को चकमा देने में माहिर है. इसके लक्षण पिछले वेरिएंट्स की तरह ही हैं. इनमें बुखार, बहती नाक, गले में खराश, सिरदर्द और पेट दर्द व दस्त जैसे लक्षण शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक नए सब-वेरिएंट से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्याएं अधिक हो सकती हैं. वहीं रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने संकेत दिया है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिससे पता चले कि अन्य वेरिएंट्स की तुलना में जेएन.1 ज्यादा घातक है. साथ ही यह भी कहा गया है कि भले ही यह वेरिएंट इम्यून सिस्टम को चकमा देने में सक्षण हो. लेकिन इसके कारण अधिक गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में वृद्धि होने के आसार बेहद कम हैं.