बस्ती: फूलों की खेती से लिख सफलता की इबारत

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फूलों की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। साल के 12 महीने इन फूलों की मांग बनी रहती है। फिलहाल कप्तानगंज के कोटिया ओझागंज की महिला ज्ञानमती फूलों की खेती करके क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए नजीर हैं। इनके फूलों की महक बस्ती सहित अयोध्या तक फैल रही है। कप्तानगंज के कोटिया ओझागंज की ज्ञानमती देवी गेंदे की खेती कर अपने परिवार की किस्मत बदल कर रख दी है। ज्ञानमती की माने तो परिवार की महिलाएं फूलों की रोपाई और तुड़ाई सभी काम करते हैं। वहीं, घर के पुरुष सिर्फ इसकी बिक्री का काम देखते हैं। ज्ञानमती की माने तो परिवार में पुश्तैनी कार्य माली का है। लेकिन फूलों की खेती कई वर्षों से होती रही है, जो पूरे वर्ष चलती है। वर्ष में चार बार पौधों को रोपित किया जाता है। एक बार में 10 बिस्वा खेत में पौधे रोपित किए गए थे, जो अब फूल दे रहे हैं। दूसरे पौधों को रोपित किया जा रहा है। जिससे जब तक इन पौधों से फूल निकलना बंद हो तब तक दूसरी फसल तैयार हो जाए। ज्ञानमती देवी ने बताया कि परिवार के पुरुष फूलों की मंडी में इसे बेचते हैं। यहां के व्यापारी स्कूल की क्वालिटी देखकर तत्काल खरीदारी करते हैं। 50 से 60 रुपये प्रति किलो गेंदे का फूल आसानी से बिक जा रहा है। कभी-कभी फूलों की मांग इतनी हाकती है कि इसकी किल्लत हो जाती है। ज्ञानमती देवी के पति रमाकांत सैनी की माने तो गेंदे की खेती से अच्छी आमदनी हो रही है।

45 से 60 दिनों में तैयार होती है फसल

गेंदे का फूल की पत्तियों में औषधीय गुण समाहित होते हैं। ऐसे में इसे पशुओं के द्वारा खराब भी नहीं किया जाता है। साथ ही इनके पौधों पर लाल मकड़ी के अलावा कोई कीट भी नहीं लगता है। इसके रखरखाव में भी उतनी लागत नहीं आती है। गेंदे के फूल की खेती की सबसे खास बात है कि 45 से 60 दिनों के अंदर इसकी फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।


आसानी से उपलब्ध है बाजार

गेंदे फूल का बाजार खोजने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। शादियों के मौसम में इसके फूल की खूब मांग रहती है। ऐसे वक्त में इसकी कीमतों में ठीक-ठाक इजाफा देखने को मिलता है। इसके अलावा त्योहारों में गेंदे का फूल हाथों हाथ बिक जाता है।


कृषि विभाग से मिल चुका है पुरस्कार

ज्ञानमती देवी के पति रमाकांत सैनी ने बताया कि फूलों की बेहतर खेती के कारण 2023 में कृषि विभाग की ओर से सात हजार रुपये का पुरस्कार भी मिला था। अन्य लोग भी खेती से प्रेरित होकर खेती कर रहे हैं।

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