HIV का नया हॉटस्पॉट बना भिवंडी, 90% सेक्स वर्कर्स पॉजिटिव! डरा देंगे ये आंकड़े

101

HIV Cases in Mumbai : भिवंडी के पावर लूम केंद्र में एचआईवी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और सरकारी एजेंसियाँ इस मुद्दे पर जनजागरूकता फैलाने में असफल हो रही हैं। रेड लाइट एरिया से जुड़ी अधिकांश सेक्स वर्कर महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव हैं, और सेफ्टी की मांग करने पर प्रताड़ित की जाती हैं।

मुंबई : मजदूरों का शहर कहे जाने वाले पावर लूम केंद्र भिवंडी में एचआईवी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी पाई गई है। आरोप लगाया जा रहा है कि एचआईवी नियंत्रण के लिए काम कर रही सरकारी एजेंसियां लोगों को जागरूक करने में नाकाम साबित हो रही हैं। शहर में एचआईवी मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है।

बता दें कि पावर लूम कारखानों के साथ शहर में साइजिंग, डाइंग और मोती कारखानों सहित ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर गोदाम भी हैं। यहां देश के हर प्रांत के लोग काम-धंधे की तलाश में आते हैं। यही कारण है कि भिवंडी को मिनी इंडिया कहा जाता है।

एचआईवी का हॉटस्पॉट बना
बताया जा रहा है कि परिवार से दूर ये मजदूर हनुमान टेकड़ी स्थित रेड लाइट एरिया में जाते हैं, जो अब एचआईवी का हॉटस्पॉट बन गया है। रेड लाइट एरिया में काम करने वाली एक निजी संस्था ने सनसनीखेज जानकारी दी है कि यहां की सेक्स वर्कर महिलाओं में से 90 प्रतिशत से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव हैं। यहां कई बार बीमारी से जूझ रही महिलाओं से जबरन देह व्यापार कराया जाता है। जनजागरूकता की कमी और एचआईवी नियंत्रण संगठनों की रेड लाइट एरिया की उपेक्षा के कारण शहर में एचआईवी बढ़ रहा है।

रेड लाइट एरिया की सेक्स वर्कर महिलाओं ने बताया कि सेफ्टी (कंडोम) की मांग करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। एक सेक्स वर्कर महिला ने बताया कि वह पिछले 10 साल से एचआईवी से पीड़ित है। उसने बताया कि एचआईवी के लिए उन्हें जागरूक नहीं किया जाता है। उनकी किसी तरह की मदद नहीं की जाती है। कई सेक्स वर्कर महिलाओं ने बताया कि वह इस गली से बाहर निकलना चाहती हैं। किसी कंपनी आदि में काम करना चाहती हैं।

शहर में 3,500 से ज्यादा मरीज
सूत्र बताते हैं कि शहर के एआरटी सेंटर्स में 20 से 22 साल के युवा और 60 से 65 साल के बुजुर्ग ज्यादा हैं। वहीं, हर महीने 30 से ज्यादा नए एचआईवी संक्रमित मरीज एआरटी सेंटर में आते हैं। फिलहाल, शहर में 3,500 से अधिक एचआईवी संक्रमित मरीज हैं। इनका नियमित इलाज चल रहा है, जबकि एचआईवी संक्रमित अन्य मरीज दूसरे प्रांतों के रहने वाले हैं, जो शहर छोड़कर जा चुके हैं या उनकी मौत हो चुकी है। एआरटी सेंटर के सूत्रों का कहना है कि सरकार की जनजागरूकता फैलाने वाली संस्थाएं काम नहीं कर रही हैं, जिससे संख्या बढ़ रही है। वहीं, आईजीएम उपजिला अस्पताल ने बताया है कि शहर में एचआईवी मरीजों की संख्या में कमी हो रही है।

WhatApp पर पाइये देश और दुनिया की ख़बरें