मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को कौन देगा मुखाग्नि? क्या कहती है परंपरा

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नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे मनमोहन सिंह ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में रात 9:51 बजे अंतिम सांस ली। वह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार, 28 दिसंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया जाएगा। वहीं इसी बीच अंतिम संस्कार से पहले सबसे बड़ी चर्चा इस बात की है कि उन्हें मुखाग्नि कौन देगा।

बेटी देगी मुखाग्नि?

आज मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय लाया जाएगा, जहां करीब एक घंटे आम जनता और नेताओं को उनके अंतिम दर्शन करने का अवसर मिलेगा। इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली जाएगी और सुबह 11:45 बजे निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वहीं बता दें मनमोहन सिंह की तीन बेटियां हैं, उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह। बेटा नहीं होने के कारण यह संभावना जताई जा रही है कि उनकी बेटियां या नाती यह जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

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क्या कहता है सिख धर्म

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद मुखाग्नि देने की जिम्मेदारी आमतौर पर पुत्र निभाता है। लेकिन अगर बेटा न हो, तो बेटियां भी यह कार्य कर सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार, “पुत्री को भी वही अधिकार है जो पुत्र को है, यदि वह श्रद्धा और प्रेम से यह कार्य करती है।” सिख धर्म, जिसकी शिक्षाएं लिंग समानता पर आधारित हैं, इस बात को पूरी तरह स्वीकार करता है। सिख परंपराओं के अनुसार, परिवार का कोई भी सदस्य, चाहे वह बेटा हो, बेटी हो या नाती-नातिन, मुखाग्नि दे सकते है।

कैसे होगी अंतिम विदाई

सिख धर्म के अनुसार, अंतिम संस्कार को ‘अंतिम अरदास’ कहा जाता है। इसमें ‘सुखमनी साहिब’, ‘अर्थी साहिब’ और ‘अनंद साहिब’ का पाठ किया जाता है। पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी जाएगी। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर है और नेता व आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। बता दें मनमोहन सिंह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। वहीं गुरुवार के दिन वे अपने घर पर बेहोश हो गए, जिसके बाद करीब रात 8 बजे उन्हें दिल्ली AIIMS ले जाया गया. हालांकि रात 9:51 में उन्होंने अंतिम सांस ली।