Janmashtami 2023: जब कृष्ण ने अपने गुरु से केवल 64 दिनों में ही ले लिया 64 कलाओं का ज्ञान, जानें क्या थीं वे कलाएं

290

Janmashtami 2023: भगवान श्री कृष्णा का पवन पर्व जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. कान्हा जी के भक्त यह पर्व बहुत ही हर्ष और उमंग से मनाते है. इस दिन भक्तों द्वारा श्री कृष्ण के भजन-कीर्तन आयोजित किए जातें है. श्री कृष्ण को बचपन से ही माखन , दूध एवं दही बहुत पसंद था जिसके लिए वह अन्य घरों में भी छुपकर माखन खाया करते थे. इसी दृश्य का प्रतिनिधित्व करते हुए नन्हे एवं युवा बालकों द्वारा दही- हांड़ी का आयोजन भी होता है.

यहां पढ़े: मुस्लिम युवक के माथे पर दाग दिया ‘जय भोलेनाथ’:लोग बोले अगर यही सनातन धर्म की पहचान है तो इसे तत्काल दफना देना ही उचित होगा, जानिए सच्चाई

श्रीकृष्ण (Shrikrishna) की लीलाओं का प्रत्येक आयाम सहज और सरल मालूम होता है, किंतु बाल्यावस्था से लेकर अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन कराने तक उनकी समस्त लीलाएं हमारा मार्गदर्शन करती हुई विषमताओं से सामंजस्य स्थापित करना सिखाती हैं. छांदोग्य उपनिषद, महाभारत महाकाव्य व भागवत पुराण के अनुसार उनकी जीवन यात्रा को बाल्यकाल, युवावस्था का मैत्रीभाव, गृहस्थ जीवन, गीता का उपदेशक और संन्यासी के रूप में बांटकर सुगमता से समझा जा सकता है.

यहां पढ़े: Janmashtami 2023: रोंगटे खड़े कर देगा ये प्रसंग, जब कृष्ण ने दुर्योधन से कहा- याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा

भगवान श्रीकृष्ण को महान कूटनीतिज्ञ भी कहा गया है. द्वापरयुग में महाभारत के युद्ध के दौरान और उसी कथा में भी उन्होंने अपनी चतुराई भरी रणनीति और कूटनीति का गजब का परिचय दिया है. फिर चाहे कौरव के पास शांति प्रस्ताव लेकर जाने की बात हो या फिर युद्ध के दौरान भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य, जयद्रथ, कर्ण और दुर्योधन जैसे महारथी योद्धाओं के वध की, श्रीकृष्ण ने बिना हथियार उठाये इस पूरे युद्ध में सबसे अहम भूमिका निभाई.

श्रीकृष्ण को 64 कलाओं का ज्ञाता भी कहा जाता है, जिसे उन्होंने अपने गुरु से हासिल किया. जन्माष्टमी के मौके पर आईए जानते हैं भगवान श्रीकृष्ण के गुरू के बारे में और उन 64 कलाओं के बारे में भी जिसका कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने गुरु संदीपनि से अपनी शिक्षा-दीक्षा हासिल की थी. इस दौरान उन्होंने अपने गुरू से 14 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान मिला. कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने 64 कलाओं का ज्ञान केवल 64 दिनों में हासिल कर लिया था. श्रीकृष्ण के अलावा किसी और का उदाहरण नहीं मिलता जिसे इतने कलाओं में दक्षता हासिल हो.

वैसे श्रीकृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे और सभी कलाओं में वे पहले भी निपुण थे लेकिन कहते हैं कि गुरु के साथ रहकर सीखते हुए उन्होंने उनका मान रखा और सबकुछ वैसे ही सीखा जैसे एक छात्र अपने गुरु से सीखता है. ऋषि सांदीपनि कश्यप गोत्र में जन्में ब्राह्मण थे और वेद, शास्त्र, कलाओं तथा आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण थे. गुरु सांदीपनि का आश्रम मौजूदा उज्जैन के करीब था। यह आश्रम आज भी मौजूद है.

भगवान श्रीकृष्ण जिन कलाओं के ज्ञाता माने जाते हैं उसमें- नृत्य, गायन, विभिन्न वाद्य यंत्र बजाने, नाट्य, जादू, नाटक की रचना जैसी बाते हैं. इसके अलावा अलग-अलग वेष धारण करना, द्युत क्रीड़ा में निपुण, अद्भुत भाषाविद, सांकेतिक भाषा बनाना, पशु-पक्षियों की बोली समझना, कई भाषाओं का ज्ञान, खाद्य पदार्थ और मिष्ठान बनाने में निपुण, हाथ की कारीगरी, सहिष्णु, धैर्यवान, तरह-तरह की लीलाओं को रचना जैसी कई कलाएं थी जिसमें श्रीकृष्ण को महारत थी.

श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का भी गजब का संयोग देखने को मिलता है. उनका जन्म 8वें मनु के काल में अष्टमी के दिन वासुदेव के आठवें पुत्र के तौर पर हुआ था. यही नहीं कहते हैं कि उनके 8 घनिष्छ मित्र और 8 ही सखियां भी थीं. मोर मुकुट और बांसुरी श्रीकृष्ण की विशेष पहचान रही.

Also Read: Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर कैसे करें भगवान कृष्ण की पूजा, कर लिए ये उपाय तो मिलेगी विशेष कृपा


दुनिया प्रदेश की ताजा तरीन खबरें और रोचक जानकारीयों के लिए जुडिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से..लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज अपने व्हाट्सएप पर पायें…

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )