रिटायरमेंट प्लानिंग में कौन देगा बेहतर रिटर्न और पेंशन?

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व्यापार: रिटायरमेंट निवेश के बाजार में गरमाहट है। होड़ है सरकारी एनपीएस और म्यूचुअल फंड के बीच। बीते महीनों में दोनों विकल्पों ने नई स्कीमें और प्लान जारी किए हैं। निवेशक भी अब अपनी वित्तीय योजना में पेंशन को जगह देने लगे हैं। नियमित बचत और लंबी अवधि के निवेश के साथ रिटायरमेंट प्लानिंग का तरीका अब समझ में आने लगा है।

म्यूचुअल फंड और एनपीएस, दोनों ही रिटायरमेंट के लिए अच्छे निवेश उपकरण हैं। इनसे भविष्य के लिए सुरक्षित व स्थिर धनराशि और नियमित  आय सुनिश्चित की जा सकती है। एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम की शुरुआत सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी और बाद में यह सभी व्यक्तियों के लिए खोल दी गई। इसमें कई बदलाव हुए हैं, हाल में निवेशकों को बचत के लिए शत प्रतिशत इक्विटी निवेश की छूट दी गई है।  

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फर्क समझना जरूरी  
एनपीएस एसेट क्लास और पेंशन फंड मैनेजर के बीच स्विच करने का लचीलापन देता है, मगर अंत में 60 या 70 वर्ष की निर्धारित आयु तक पहुंचने के बाद इसे बंद करना होता है, पैसा निकालना होता है और चुने गए विकल्पों के अनुसार एन्यूटी लेनी होती है। एन्युटी मुद्रास्फीति से इंडेक्स्ड नहीं है, यानी महंगाई के हिसाब से इसमें बढ़त नहीं होती और यह टैक्सेबल भी है। एनपीएस उनके लिए अच्छा है, जिन्हें नियमित निवेश अनुशासन बनाए रखने में कठिनाई होती है। यदि आप नियमित निवेश कर सकते हैं तो म्यूचुअल फंड सुविधाजनक है, क्योंकि यहां कई विकल्प हैं। म्यूचुअल फंड में आप अपने हिसाब से स्कीम की कैटेगरी चुन सकते हैं।

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