
Chhath Puja 2025: छठ पूजा 2025 का महापर्व 25 अक्टूबर से शुरू हो चुका है और आज इसका तीसरा दिन है। इस दिन व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं। यह पर्व विशेष रूप से छठी मैय्या और सूर्यदेव को समर्पित है और कार्तिक एवं चैत्र मास में मनाया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी आयु और परिवार की भलाई के लिए रखा जाता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देना कृतज्ञता और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह प्रथा जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की भावना को दर्शाती है। मान्यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रत्यूषा, सूर्यदेव की पत्नी, को समर्पित किया जाता है, जो सूर्य की अंतिम किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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शाम के समय अर्घ्य देने की विधि
तीसरे दिन शाम को व्रती महिलाएं स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और फल, ठेकुआ, नारियल, दीपक और गन्ना से भरे बांस की सूप में अर्घ्य की तैयारी करती हैं। इसके बाद नदी या आंगन में जल से भरे पात्र के सामने खड़े होकर सूर्य की दिशा में मुख करके मंत्र ‘ऊँ सूर्याय नमः’ का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देती हैं। इस समय परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हुए छठी मैय्या के भजन भी गाए जाते हैं।
सूर्योदय पर अर्घ्य देने के उपाय
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे का पात्र सबसे शुभ माना जाता है। इसमें जल में लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। सूर्योदय के समय या उसके एक घंटे बाद अर्घ्य देना सर्वोत्तम होता है। अर्घ्य देते समय सूर्य की किरणों पर ध्यान रखना चाहिए और ‘ओम सूर्याय नमः’ का 11 बार जाप करना शुभ माना जाता है। इसके बाद सूर्य की ओर मुख करके तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। गायत्री मंत्र का जाप भी इस समय लाभकारी माना जाता है।



















