
भोपाल.रविवार की सायं भोपाल में वातावरण एक अद्भुत आत्मीयता और श्रद्धा से भरा हुआ था. अवसर था — शिक्षा, समाज सेवा और मानवीय मूल्यों के प्रतीक स्वर्गीय आनंद स्वरूप मिश्र (1925–2015) की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित “पुष्पांजलि एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह” का. जैसे ही मिश्र जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए, पूरे सभागार में एक भावनात्मक सन्नाटा छा गया , मानो हर व्यक्ति अपने भीतर उस शिक्षक, मार्गदर्शक और करुणा से भरे इंसान की स्मृतियों से संवाद कर रहा हो, जिसने अनगिनत जीवनों को शिक्षा और संस्कार का उजाला दिया था.
आशा पारस फॉर पीस एंड हार्मनी फाउंडेशन, भारत के तत्वावधान में संपन्न इस गरिमामय कार्यक्रम में देश-विदेश से जुड़े शिक्षाविदों, न्यायविदों, समाजसेवियों और पूर्व विद्यार्थियों ने मिश्र जी के प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि मिश्र जी का जीवन सादगी, समर्पण और सेवा का जीवंत उदाहरण था – उन्होंने सीमित संसाधनों में भी शिक्षा की ऐसी मशाल जलाई, जो आज भी पीढ़ियों को मार्गदर्शन देती है.
न्यायमूर्ति करुणा नन्द बाजपेयी ने कहा कि “आनंदस्वरूप मिश्र जी का जीवन एक युग का उद्घोष था. उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में नई चेतना और आत्मसम्मान का संचार किया. उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे.” न्यायमूर्ति अशोक गुप्ता ने उन्हें ‘युगदृष्टा शिक्षक’ बताते हुए कहा कि उन्होंने विद्यार्थियों में अनुशासन और नैतिकता का ऐसा संस्कार रोपा, जो जीवन भर उनका मार्गदर्शन करता रहा.
कार्यक्रम में न्यायमूर्ति अशोक गुप्ता, डॉ. मार्कण्डेय राय, प्रो. श्याम बाबू गुप्ता, प्रो. ऋषि मुनि द्विवेदी, श्री अरविंद मिश्रा, प्रो. राजेश किशोर त्रिपाठी, प्रो. रवीन्द्र शुक्ला, प्रो. आशा शुक्ला, आदित्य वाजपेयी, सुनीता आदित्य, सुधीर कुमार मिश्रा, डॉ. राजेश मिश्रा, डॉ. अंजनी डिडवानिया, प्रो. जितेन्द्र पांडेय, डॉ. ललित, डॉ. धीरेंद्र शुक्ला, श्री रमेश राय, श्रीमती मोना (अरबिंद) तिवारी, श्रीमती मंजू शर्मा, श्री आलोक शुक्ला, श्री अमिताभ खरे, श्रीमती दीपा, निशा तिवारी, श्री राजबहादुर सिंह, अजय दुबे, लक्ष्मी मिश्रा, गोमती द्विवेदी, अंकुर शुक्ला, मारुति, पल्लवी और अपूर्व सहित अनेक अतिथि उपस्थित रहे. श्री अरविंद वर्मा और श्री आनंद मिश्रा के लिखित संदेशों का वाचन भी किया गया, जिनमें मिश्र जी को समाज में शिक्षा के अग्रदूत और नैतिक चेतना के प्रतीक के रूप में याद किया गया.
इस अवसर पर प्रो. आशा शुक्ला और डॉ. रत्ना मूले द्वारा संपादित पुस्तक “Gender Disparities in Health Issues” का लोकार्पण स्व. मिश्र जी की धर्मपत्नी श्रीमती कमला मिश्रा द्वारा किया गया. उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में लैंगिक असमानताओं पर आधारित एक शोधपरक कृति है, बल्कि स्व. मिश्र जी के आदर्शों और मानवीय दृष्टि को भी समर्पित श्रद्धांजलि है.
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने भावुक शब्दों में मिश्र जी के योगदानों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा को केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का माध्यम बनाया. उनके संस्थानों से निकले विद्यार्थी आज भी उनके दिए संस्कारों को जीवन में जीते हैं.
समारोह के समापन पर आयोजक संस्था की प्रबंध निदेशक प्रो. आशा शुक्ला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा – “हमारे फाउंडेशन का उद्देश्य शिक्षा, शांति और समानता के उन मूल्यों को समाज तक पहुँचाना है, जिन्हें मिश्र जी ने अपने जीवन से जिया. उनके विचार और आदर्श हमारे लिए दिशा-सूचक दीपक हैं.”
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित अतिथियों ने यह संकल्प लिया कि वे स्व. आनंद स्वरूप मिश्र की शिक्षा, सेवा और संस्कार की परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे. समारोह का वातावरण श्रद्धा, प्रेरणा और आत्मीय स्मृतियों से ओतप्रोत रहा-मानो हर हृदय यह कह रहा हो कि “कुछ व्यक्तित्व जाते नहीं, बस रूप बदलकर युगों तक जगमगाते रहते हैं.”





























