जो शक था वही हुआ 62 लाख वोट कटे, दिग्विजय सिंह ने बिहार चुनाव रुझानों पर मतदाता सूची और ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया

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भोपाल. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताज़ा रुझानों में एनडीए की भारी बढ़त के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और ईवीएम की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि लाखों वोट काटे गए, जिनमें अधिकांश गरीब, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के थे.

दिग्विजय सिंह ने बयान देते हुए कहा, “जो मेरा शक था वही हुआ. 62 लाख वोट काट दिए गए, 20 लाख वोट जोड़े गए, और इनमें भी 5 लाख नाम बिना अनिवार्य SIR फॉर्म भरे ही जोड़ दिए गए. अधिकांश कटे हुए वोट गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के ही थे. ईवीएम पर तो पहले से ही शंका बनी हुई है.”

बिहार में दो चरणों में हुए मतदान के बाद 12 घंटे की मतगणना के भीतर ही रुझानों ने स्पष्ट कर दिया कि मुकाबला एकतरफा होता जा रहा है. एनडीए 200 से अधिक सीटों की ओर बढ़ता दिख रहा है. भाजपा 70 से अधिक सीटें जीत चुकी है, जबकि जेडीयू भी मजबूत प्रदर्शन कर रही है. दूसरी ओर महागठबंधन 40 के करीब सीटों में ही संघर्षरत दिखाई दे रहा है.

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इन रुझानों के बीच दिग्विजय सिंह ने बार-बार यह दोहराया कि परिणाम केवल “हेरफेर” का नतीजा हैं. उन्होंने दावा किया कि जिन 62 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, उनमें बड़ी संख्या ऐसे वर्गों की थी जिनका मतदान व्यवहार एनडीए के पक्ष में नहीं माना जाता.

उन्होंने आरोप लगाया कि जिन 20 लाख नए नाम शामिल किए गए, उनमें 5 लाख नाम बिना SIR फॉर्म के ही जोड़े गए. चुनाव प्रक्रिया में यह फॉर्म नए मतदाताओं का सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना जाता है. कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह मुद्दा केवल बिहार का नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लोकतांत्रिक ढांचे से जुड़ी चिंता है.

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बिहार में हुए मतदान को लेकर दिग्विजय सिंह पहले भी आशंकाएं जता चुके थे. 12 नवंबर को उन्होंने कहा था कि यदि एनडीए 140 से अधिक सीटें जीतता है, तो यह “मैनिपुलेटेड वोटर लिस्ट और मैनिपुलेटेड ईवीएम” का नतीजा होगा. अब रुझानों में एनडीए की बंपर बढ़त देखने के बाद उन्होंने अपने आरोपों को और तेज कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार चुनाव की मतदाता सूची को लेकर विवाद पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन इस बार संख्या इतनी बड़ी होने के कारण मुद्दा और गंभीर हो गया है. चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

वहीं भाजपा और एनडीए नेतृत्व इन आरोपों को “बहानेबाज़ी” और “जनादेश का अपमान” बता रहे हैं. उनका कहना है कि बिहार की जनता ने विकास, सुशासन और स्थिरता के पक्ष में वोट दिया है, और विपक्ष अपनी हार स्वीकार नहीं कर पा रहा.

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इन सबके बीच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता का मुद्दा एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में आ गया है. दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता बार-बार ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग और तकनीकी विशेषज्ञ लगातार कहते रहे हैं कि मशीनों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है.

बिहार चुनाव के अंतिम परिणाम आने के बाद राजनीतिक हलकों में इन आरोपों और मतदाता सूची के विवाद पर और भी बड़ा विमर्श छिड़ने की संभावना है. फिलहाल, देशभर की निगाहें आयोग के आधिकारिक आंकड़ों और विपक्ष की आगे की रणनीति पर टिकी हैं.

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