राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पीसीआई अध्यक्ष रंजना देसाई का संबोधन

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नई दिल्ली.राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए, भारतीय प्रेस परिषद (PCI) की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने मीडिया के सामने मौजूद चुनौतियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति देसाई ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रेस की विश्वसनीयता में हो रही कमी उन तमाम चुनौतियों में सबसे अधिक चिंताजनक है, जिनका सामना मीडिया जगत वर्तमान समय में कर रहा है। राजधानी में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने सूचनाओं को तेज़ी से वितरित करने के बजाय उनकी सटीकता और सत्यता पर अधिक बल दिया।

 

न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने कहा कि मौजूदा दौर में प्रेस को जिन चिंताजनक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें मीडिया की विश्वसनीयता का ह्रास और प्रौद्योगिकी का मनमाना उपयोग शामिल है, जिसके कारण गलत सूचनाओं का प्रसार तेज़ी से हो रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "सामूहिक संचार में प्रौद्योगिकी के मनमाने उपयोग से गलत सूचनाओं का प्रसार बढ़ रहा है," और ऐसे कठिन समय में पत्रकारों की ज़िम्मेदारी कहीं अधिक भारी हो गई है। उन्होंने पत्रकारों को उनके कर्तव्य की याद दिलाते हुए कहा, "तेज़ी के बजाय सटीकता को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए, और रुझानों (Trends) के मुकाबले सत्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।"

पीसीआई अध्यक्ष ने प्रेस से धर्म या सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों पर रिपोर्टिंग करते समय संयम दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पत्रकारों का काम किसी घटना की रिपोर्टिंग के साथ समाप्त नहीं हो जाता, क्योंकि एक छोटी सी असत्यता के भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "उनका काम किसी घटना की रिपोर्टिंग के साथ समाप्त नहीं होता; यह तथ्यों को सत्यापित करने, उनकी सटीक व्याख्या करने और उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में रखने तक विस्तृत है, न कि ख़बरों को गढ़ने तक।"

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इस समारोह में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव और पीटीआई के सीईओ विजय जोशी सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति देसाई ने यह भी घोषणा की कि भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकारिता आचार संहिता (Norms of Journalistic Conduct) को अद्यतन (Update) कर दिया है और उन्होंने रिपोर्टिंग में अधिक सावधानी और जिम्मेदारी बरतने का आह्वान किया है। उन्होंने मीडिया बिरादरी से अपील की कि वे अद्यतन की गई आचार संहिता का अध्ययन करें और उसका पालन सुनिश्चित करें।

न्यायमूर्ति देसाई ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि परिषद का मानना है कि वित्तीय स्वतंत्रता सीधे तौर पर प्रेस की विश्वसनीयता को बनाए रखने से जुड़ी हुई है। इसी क्रम में, उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को सलाह दी है कि वे पत्रकारों के लिए समूह बीमा योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करें, ताकि वे आर्थिक रूप से अधिक सुरक्षित महसूस कर सकें और निष्पक्ष पत्रकारिता को प्राथमिकता दे सकें। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की बढ़ती भूमिका के प्रति पत्रकारों को सतर्क और विचारशील बने रहना चाहिए। उन्होंने निष्कर्ष के रूप में कहा, "प्रौद्योगिकी को हमें सत्य खोजने में मदद करनी चाहिए, न कि उसे विकृत या धूमिल करना चाहिए। ये उपकरण चाहे कितने भी उन्नत क्यों न हो जाएँ, वे कभी भी मानव मस्तिष्क – उस निर्णय, अंतरात्मा और ज़िम्मेदारी की भावना की जगह नहीं ले सकते जो हर पत्रकार को गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए निर्देशित करती है।"

न्यायमूर्ति देसाई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश और दुनिया भर में मीडिया संगठनों पर तेज़ प्रतिस्पर्धा और सोशल मीडिया के दबाव के कारण गुणवत्ता से समझौता करने के आरोप लग रहे हैं। उनका यह संबोधन राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मूल उद्देश्य को रेखांकित करता है, जिसमें स्वतंत्र और विश्वसनीय पत्रकारिता के महत्व को दोहराया जाता है।

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पत्रकारिता आचार संहिता 

न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर यह घोषणा की है कि परिषद ने 'पत्रकारिता आचार संहिता' ) को अद्यतन कर दिया है। ये नए दिशानिर्देश वर्तमान समय में मीडिया के समक्ष मौजूद डिजिटल चुनौतियों, विशेष रूप से गलत सूचनाओं के प्रसार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते उपयोग, को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। इन अद्यतन मानदंडों का उद्देश्य प्रेस की विश्वसनीयता को बहाल करना और पत्रकारों को उनके पेशेवर दायित्वों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना है।

अद्यतन आचार संहिता के प्रमुख प्रावधान और केंद्र बिंदु:

  1. गलत सूचना और 'फेक न्यूज' पर सख्ती:

    • नई संहिता में गलत सूचना (Misinformation) और विकृत सूचना (Disinformation) के प्रसार को रोकने पर सबसे अधिक बल दिया गया है।

    • पत्रकारों को निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी समाचार को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले तथ्यों का पूरी तरह से सत्यापन करें, भले ही तेज़ गति से ख़बर देने का कितना भी दबाव हो।

    • 'ब्रेकिंग न्यूज़' (Breaking News) की होड़ में अपुष्ट या असत्यापित सूचनाओं के प्रकाशन को पत्रकारिता आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा।

    • यदि कोई त्रुटि पाई जाती है, तो तत्काल और स्पष्ट रूप से सुधार प्रकाशित करने का प्रावधान अनिवार्य बनाया गया है।

  2. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का जिम्मेदार उपयोग:

    • यह पहली बार है जब पीसीआई की आचार संहिता में एआई को शामिल किया गया है। नए मानदंडों में पत्रकारों को सलाह दी गई है कि वे एआई-जनरेटेड कंटेंट (AI-generated content) का उपयोग बेहद सावधानी और ज़िम्मेदारी के साथ करें।

    • निर्देश है कि एआई का उपयोग केवल अनुसंधान (Research) और डेटा विश्लेषण जैसे सहायक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए।

    • पत्रकारिता में एआई द्वारा बनाई गई किसी भी सामग्री, जैसे कि टेक्स्ट या इमेज, को बिना मानवीय सत्यापन और संपादन के प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए।

    • न्यायमूर्ति देसाई के शब्दों को दोहराते हुए, कोड में यह शामिल किया गया है कि एआई मानवीय निर्णय, विवेक और नैतिक ज़िम्मेदारी का विकल्प नहीं बन सकता है।

  3. वित्तीय स्वतंत्रता और विश्वसनीयता:

    • नए नियम दोहराते हैं कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए मीडिया संस्थानों की वित्तीय स्वतंत्रता आवश्यक है।

    • संपादकीय निर्णय विज्ञापनदाताओं या बाहरी व्यावसायिक हितों से प्रभावित नहीं होने चाहिए।

    • पेड न्यूज़ (Paid News) या विज्ञापन और संपादकीय सामग्री के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से दर्शाना अनिवार्य किया गया है ताकि पाठकों को गुमराह न किया जा सके।

  4. धर्म और सुरक्षा मामलों पर संयम:

    • नए कोड में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया गया है कि धर्म, धार्मिक भावनाओं या देश की सुरक्षा/सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों पर रिपोर्टिंग करते समय अत्यधिक संयम और तटस्थता बरती जाए।

    • रिपोर्टिंग इस तरह से की जानी चाहिए कि वह सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय सुरक्षा को किसी भी तरह से खतरे में न डाले।

  5. नैतिकता और सोशल मीडिया:

    • हालांकि यह सीधे तौर पर आचार संहिता का हिस्सा नहीं है, लेकिन पीसीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पत्रकारों के निजी व्यवहार और उनके द्वारा साझा की गई सामग्री को लेकर भी उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की है।

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ये अद्यतन दिशा निर्देश भारतीय पत्रकारिता को डिजिटल युग की चुनौतियों का सामना करने, गुणवत्ता और सत्यनिष्ठा को प्राथमिकता देने और देश के नागरिकों के बीच अपनी खोई हुई विश्वसनीयता को फिर से स्थापित करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं।

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