कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को उस वक्त भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर 'चुनाव शुरू होने से पहले ही टकराव शुरू करने' का बेहद गंभीर आरोप लगाया, जब उन्हें अपनी निर्धारित हेलीकॉप्टर यात्रा रद्द करनी पड़ी। मुख्यमंत्री को उत्तर 24 परगना के बनगाँव में एक रैली को संबोधित करने के लिए हेलीकॉप्टर से जाना था, लेकिन विमान उड़ान भरने की अनुमति नहीं मिलने के कारण उन्हें सड़क मार्ग से यात्रा करनी पड़ी। लंबी सड़क यात्रा के बावजूद, ममता बनर्जी ने बनगाँव में जनसभा को संबोधित किया और बाद में इलाके में एक पदयात्रा का नेतृत्व भी किया। इस घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया तनाव पैदा कर दिया है, जहां आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक तापमान पहले से ही काफी ऊँचा है।
सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी के लिए लीज पर लिए गए हेलीकॉप्टर की उड़ान न भरने का प्राथमिक कारण उसका बीमा (Insurance) समाप्त होना था। नागरिक उड्डयन नियमों के तहत, बिना वैध बीमा के कोई भी व्यावसायिक विमान उड़ान नहीं भर सकता। यह एक तकनीकी और कानूनी चूक थी, जिसने मुख्यमंत्री की सार्वजनिक यात्रा को बाधित किया। इस चूक की जानकारी मिलते ही, राज्य परिवहन विभाग ने तत्काल उस निजी कंपनी को कारण बताओ नोटिस (Show-cause notice) जारी कर दिया है, जिसने विमान को राज्य सरकार को लीज पर दिया था। यह प्रशासनिक कार्रवाई दर्शाती है कि राज्य सरकार इस तकनीकी विफलता को कितनी गंभीरता से ले रही है।
हालांकि, तकनीकी विफलता के बावजूद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को सीधे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा से जोड़ दिया। अपनी रैली को संबोधित करते हुए और बाद में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में, उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि यह बाधा केंद्र की सत्ताधारी पार्टी द्वारा जानबूझकर पैदा की गई थी। ममता बनर्जी ने कहा, "चुनाव अभी शुरू भी नहीं हुए हैं, लेकिन टकराव अभी से शुरू हो गया है। मुझे रैली में आने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की गई। पहले मेरा हेलीकॉप्टर रोका गया। वे सोचते हैं कि वे हमें डरा देंगे, लेकिन तृणमूल कांग्रेस को कोई नहीं डरा सकता।"
बनर्जी का यह बयान पश्चिम बंगाल की राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है, जहां किसी भी प्रशासनिक या तकनीकी विफलता को अक्सर राजनीतिक हस्तक्षेप के चश्मे से देखा जाता है। तृणमूल कांग्रेस का लंबे समय से यह आरोप रहा है कि केंद्र सरकार, अपने नियंत्रण वाली एजेंसियों का उपयोग करके, राज्य सरकार और पार्टी के काम में बाधा डालने की कोशिश करती है। हेलीकॉप्टर की बीमा समाप्ति की घटना को भी TMC ने इसी व्यापक रणनीति का हिस्सा माना।
भाजपा ने हालांकि इस आरोप को तुरंत खारिज कर दिया है। प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री का आरोप बेतुका और निराधार है। भाजपा प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि, "मुख्यमंत्री को प्रशासनिक विफलता के लिए भाजपा को दोष देने की आदत हो गई है। यह उनके ही राज्य परिवहन विभाग की जिम्मेदारी थी कि वे सुनिश्चित करें कि मुख्यमंत्री की यात्रा के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हेलीकॉप्टर सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करता हो। हेलीकॉप्टर का बीमा समाप्त होना राज्य सरकार की प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है, न कि भाजपा की कोई साजिश।" उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री केवल एक तकनीकी विफलता को राजनीतिक रंग देकर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही हैं।
यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि बनगाँव क्षेत्र राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। मुख्यमंत्री की रैली और उसके बाद की पदयात्रा का उद्देश्य आगामी चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरना और जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करना था। हेलीकॉप्टर की अनुपलब्धता के कारण सड़क मार्ग से यात्रा करने में अधिक समय लगा, जिससे रैली में पहुंचने में देरी हुई, लेकिन ममता बनर्जी ने अपनी चिर-परिचित आक्रामक शैली में इस बाधा का सामना किया और अपनी सभा को सफल बनाया।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह घटना आने वाले समय में राजनीतिक बयानबाजी को और तेज करेगी। तृणमूल कांग्रेस इस घटना को 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा' और 'केंद्र सरकार द्वारा राज्य पर दबाव' बनाने के एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करेगी। वहीं, भाजपा इसे TMC के 'कुशासन और प्रशासनिक अक्षमता' का प्रमाण बताकर हमलावर होगी।
फिलहाल, राज्य परिवहन विभाग द्वारा निजी लीजिंग कंपनी को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस इस मामले में कानूनी कार्यवाही की शुरुआत है। कंपनी को यह स्पष्ट करना होगा कि मुख्यमंत्री के लिए उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण विमान का बीमा समाप्त क्यों हो गया और इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है। लेकिन इस तकनीकी विफलता का राजनीतिकरण हो चुका है, और पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर चुनाव से पहले 'टकराव' की शब्दावली हावी हो गई है। यह स्पष्ट है कि राज्य में अब हर छोटी घटना को बड़े राजनीतिक युद्ध के रूप में देखा जाए

































