विक्रमजोत विकास क्षेत्र के शंकरपुर गांव में स्थित राजकीय नलकूप संख्या 72 की बदहाली के कारण सैकड़ों किसान सिंचाई से वंचित हैं। यह नलकूप 1974 में स्थापित किया गया था, जिससे शंकरपुर सहित उड़गइयां, रमहटिया और गोड़सरा शुक्ल जैसे पड़ोसी गांवों की करीब 100 एकड़ से अधिक भूमि सिंचित होती थी। किसानों को इससे सस्ते दर पर सिंचाई का पानी मिलता था। गांव के बुजुर्ग किसानों ने बताया कि जब तक सिंचाई के लिए शुल्क लिया जाता था, तब तक नलकूप और उनकी नालियां ठीक से काम करती थीं। मशीनों की ओवरहालिंग और ट्रांसफार्मर बदलने का काम भी समय पर होता था। हालांकि, मुफ्त सिंचाई की घोषणा के बाद से नलकूपों की स्थिति बिगड़ गई है। कई नालियां टूटकर जमींदोज हो गईं या अतिक्रमण का शिकार हो गईं, जिनकी मरम्मत नहीं की गई। शंकरपुर स्थित नलकूप संख्या 72 की भी यही स्थिति है। भगवान दीन, माता प्रसाद, राम जनक मौर्य, मंगली, दुर्गा प्रसाद, शिव प्रसाद, भुडुल्ली, पिन्टू यादव और जोखू यादव जैसे किसानों का कहना है कि नलकूप की नालियों पर अतिक्रमण के कारण उनका अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इससे किसानों को अब अपनी फसलों की सिंचाई के लिए महंगे निजी संसाधनों का उपयोग करना पड़ रहा है। इस संबंध में एसडीओ नलकूप ने बताया कि नलकूप संख्या 72 की नालियां बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हाईवे निर्माण के दौरान नालियां बाधित हो गई थीं, जिससे दूसरे तरफ पानी पहुंचाना संभव नहीं हो पा रहा है। एसडीओ ने आश्वासन दिया कि नालियों पर अतिक्रमण और उनकी मरम्मत व पुनर्निर्माण के संबंध में मौके का मुआयना करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।









































