हरैया सतघरवा। शिवपुरा ब्लॉक कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है। ब्लॉक की 110 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों का खाका सिर्फ दो लिपिकों के भरोसे तैयार किया जा रहा है। ब्लॉक में वाहन चालक, चौकीदार, पत्रवाहक, डाक डिस्पैच, वरिष्ठ सहायक, कनिष्ठ लिपिक, आवास, मनरेगा शिकायत प्रकोष्ठ, पेंशन, सामूहिक विवाह, स्थापना, लेखा, कन्या सुमंगला, एग्री स्टैक और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बाबूओं की नियुक्तियां वर्षों से रिक्त हैं। वर्तमान में, वरिष्ठ लिपिक विकास श्रीवास्तव और वरिष्ठ सहायक प्रदीप कुमार सभी पटलों का कार्य देख रहे हैं। एक लिपिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रदीप कुमार तीन दिन हरैया सतघरवा ब्लॉक और तीन दिन तुलसीपुर ब्लॉक का कार्य संभालते हैं। कार्य का अत्यधिक बोझ होने के कारण कर्मचारियों को अवसादग्रस्त होना पड़ रहा है। फरियादियों राम कृष्ण, संजीव कुमार, राम किशोर, राजेश कुमार, संतोषी और राजकुमार का कहना है कि लिपिकों की कमी के चलते एक बाबू को कई कार्य करने पड़ते हैं। इससे समस्याओं के निस्तारण में देरी होती है। खंड विकास अधिकारी पल्लवी सचान ने स्वीकार किया कि बाबूओं की बेहद कमी है, इसके बावजूद कार्यों का संचालन किया जा रहा है।
शिवपुरा ब्लॉक में कर्मचारियों की भारी कमी:110 ग्राम पंचायतों का काम दो लिपिकों के भरोसे
हरैया सतघरवा। शिवपुरा ब्लॉक कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है। ब्लॉक की 110 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों का खाका सिर्फ दो लिपिकों के भरोसे तैयार किया जा रहा है। ब्लॉक में वाहन चालक, चौकीदार, पत्रवाहक, डाक डिस्पैच, वरिष्ठ सहायक, कनिष्ठ लिपिक, आवास, मनरेगा शिकायत प्रकोष्ठ, पेंशन, सामूहिक विवाह, स्थापना, लेखा, कन्या सुमंगला, एग्री स्टैक और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बाबूओं की नियुक्तियां वर्षों से रिक्त हैं। वर्तमान में, वरिष्ठ लिपिक विकास श्रीवास्तव और वरिष्ठ सहायक प्रदीप कुमार सभी पटलों का कार्य देख रहे हैं। एक लिपिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रदीप कुमार तीन दिन हरैया सतघरवा ब्लॉक और तीन दिन तुलसीपुर ब्लॉक का कार्य संभालते हैं। कार्य का अत्यधिक बोझ होने के कारण कर्मचारियों को अवसादग्रस्त होना पड़ रहा है। फरियादियों राम कृष्ण, संजीव कुमार, राम किशोर, राजेश कुमार, संतोषी और राजकुमार का कहना है कि लिपिकों की कमी के चलते एक बाबू को कई कार्य करने पड़ते हैं। इससे समस्याओं के निस्तारण में देरी होती है। खंड विकास अधिकारी पल्लवी सचान ने स्वीकार किया कि बाबूओं की बेहद कमी है, इसके बावजूद कार्यों का संचालन किया जा रहा है।









































