महराजगंज के फरेदा में ठंड भरी सुबहों में किसान आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए खेतों में जुटे हुए हैं। वे आलू के बेड़ों पर मिट्टी चढ़ा रहे हैं, जिसका उद्देश्य फसल को ठंड से बचाना और उसकी उपज बढ़ाना है। आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाना एक महत्वपूर्ण कृषि कार्य है। यह पौधों के निचले हिस्से को ठंड से बचाता है, जिससे जड़ें और स्टोलन सुरक्षित रहते हैं। इस प्रक्रिया से नए कंदों के निर्माण को बढ़ावा मिलता है और फसल की उपज दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ सकती है। यह कार्य आमतौर पर पौधे उगने के 30-45 दिनों बाद दो बार किया जाता है, जिसमें जड़ों को नुकसान न पहुंचाने का विशेष ध्यान रखा जाता है। मिट्टी चढ़ाने के अलावा, किसान ठंड से फसल को बचाने के लिए अन्य उपाय भी अपनाते हैं। वे फावड़े या हल की मदद से बेड़ों पर मिट्टी की परत चढ़ाते हैं। इसके साथ ही, हल्की सिंचाई और खेतों में धुआं फैलाने का भी प्रयोग किया जाता है। पुआल या गोबर सुलगाकर धुआं करने से ठंडी हवा नीचे नहीं जम पाती। मल्चिंग का उपयोग करने से खेत में नमी बनी रहती है और सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है। ठंड के मौसम में सुबह जल्दी काम शुरू करने से किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, फिर भी वे अपनी फसल बचाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। कुछ किसानों ने कम मेहनत में मिट्टी चढ़ाने के लिए साइकिल के चक्के जैसे उपकरणों का नवाचार भी किया है। फसल को रोगों से बचाने के लिए खेतों का नियमित निरीक्षण भी आवश्यक है।
किसान आलू की फसल को ठंड से बचा रहे: महराजगंज में पाला पड़ने और उपज बढ़ाने के लिए बेड़ों पर मिट्टी चढ़ा रहे – Pharenda News
महराजगंज के फरेदा में ठंड भरी सुबहों में किसान आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए खेतों में जुटे हुए हैं। वे आलू के बेड़ों पर मिट्टी चढ़ा रहे हैं, जिसका उद्देश्य फसल को ठंड से बचाना और उसकी उपज बढ़ाना है। आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाना एक महत्वपूर्ण कृषि कार्य है। यह पौधों के निचले हिस्से को ठंड से बचाता है, जिससे जड़ें और स्टोलन सुरक्षित रहते हैं। इस प्रक्रिया से नए कंदों के निर्माण को बढ़ावा मिलता है और फसल की उपज दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ सकती है। यह कार्य आमतौर पर पौधे उगने के 30-45 दिनों बाद दो बार किया जाता है, जिसमें जड़ों को नुकसान न पहुंचाने का विशेष ध्यान रखा जाता है। मिट्टी चढ़ाने के अलावा, किसान ठंड से फसल को बचाने के लिए अन्य उपाय भी अपनाते हैं। वे फावड़े या हल की मदद से बेड़ों पर मिट्टी की परत चढ़ाते हैं। इसके साथ ही, हल्की सिंचाई और खेतों में धुआं फैलाने का भी प्रयोग किया जाता है। पुआल या गोबर सुलगाकर धुआं करने से ठंडी हवा नीचे नहीं जम पाती। मल्चिंग का उपयोग करने से खेत में नमी बनी रहती है और सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है। ठंड के मौसम में सुबह जल्दी काम शुरू करने से किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, फिर भी वे अपनी फसल बचाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। कुछ किसानों ने कम मेहनत में मिट्टी चढ़ाने के लिए साइकिल के चक्के जैसे उपकरणों का नवाचार भी किया है। फसल को रोगों से बचाने के लिए खेतों का नियमित निरीक्षण भी आवश्यक है।









































