आज सोशल मीडिया फिटनेस टिप्स और डाइट मंत्रों से भरा पड़ा है—कहीं कोई कार्ब्स को दुश्मन बता रहा है, तो कोई कहता है कि रोज़ जिम में पसीना बहाए बिना वजन कम करना नामुमकिन है। लेकिन फिटनेस कोच राज गणपत का मानना है कि असल में वजन घटाने का राज किसी कठोर डाइट या थकाऊ एक्सरसाइज़ में नहीं, बल्कि संतुलन और निरंतरता में छिपा है। 18 साल के अनुभव वाले राज गणपत, जो The Quad फिटनेस संस्था के सह-संस्थापक हैं, ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा कर उन मिथकों को तोड़ा है जो लोगों को फिटनेस की सही राह से भटका रहे हैं।
राज गणपत ने कहा कि अधिकतर लोग वजन घटाने के लिए जल्दबाज़ी करते हैं और कठोर उपायों को अपनाते हैं, लेकिन वे टिकाऊ नहीं होते। “बहुत लोग सोचते हैं कि वजन घटाने के लिए रोज़ाना घंटों वर्कआउट करना, कार्ब्स को पूरी तरह छोड़ देना या सिर्फ सलाद खाना ही एकमात्र रास्ता है। लेकिन यह सब कुछ हफ्तों में शरीर को थका देता है, और जैसे ही यह रूटीन टूटता है, वजन दोबारा बढ़ जाता है,” उन्होंने लिखा।
राज ने अपने पोस्ट में दो सेट में सुझाव साझा किए। पहला सेट उन आदतों का था, जो लोग वजन घटाने के लिए अपनाते हैं—लेकिन जिनसे वे थकान और निराशा के सिवा कुछ नहीं पाते। इनमें शामिल थे:
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रोज़ बहुत तीव्र एक्सरसाइज़ करना
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हर दिन 10,000 कदम चलना
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कार्ब्स को पूरी तरह छोड़ देना
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जंक फूड से पूरी तरह परहेज़
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पारंपरिक भारतीय भोजन छोड़कर केवल सलाद खाना
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केवल हाई-प्रोटीन डाइट लेना
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बहुत कम कैलोरी वाला खाना खाना
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रोज़ाना आठ घंटे की नींद लेना
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खूब सारा पानी पीना
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अत्यधिक अनुशासित रहना और खुद को लगातार धकेलना
राज के मुताबिक, ये सभी सलाहें दिखने में आकर्षक लगती हैं लेकिन व्यावहारिक नहीं हैं। वे “स्प्रिंट” की तरह हैं—जल्दी शुरू होती हैं, पर जल्दी थकाती भी हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग इन तीव्र उपायों पर भरोसा करते हैं, वे कुछ ही हफ्तों में बर्नआउट का शिकार हो जाते हैं और जल्द ही पुरानी आदतों में लौट आते हैं। नतीजतन, जो वजन घटाया था, वह वापस बढ़ जाता है।”
राज गणपत ने बताया कि असली सफलता “मैराथन” नहीं बल्कि “वॉकाथन” जैसी होती है—धीरे, मगर टिकाऊ कदमों से आगे बढ़ना। उन्होंने दूसरे सेट में 10 व्यावहारिक सुझाव साझा किए, जो न सिर्फ वजन घटाने में मदद करते हैं बल्कि शरीर और मन दोनों को संतुलित रखते हैं:
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हफ्ते में 3 से 5 बार संतुलित व्यायाम करें, ज़रूरी नहीं कि रोज़ तीव्र वर्कआउट हो।
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पूरे दिन सक्रिय रहें—छोटे-छोटे काम खुद करें, लिफ्ट की जगह सीढ़ियाँ लें।
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कार्ब्स को पूरी तरह न छोड़ें, बल्कि उनकी मात्रा पहले से कम करें।
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जंक फूड पूरी तरह बंद करने के बजाय धीरे-धीरे उसका सेवन घटाएँ।
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रोज़ाना भोजन में सब्ज़ियों की मात्रा बढ़ाएँ।
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हर भोजन में किसी न किसी रूप में प्रोटीन शामिल करें।
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पेट भरने से पहले खाना बंद करें—“संतुष्टि से पहले रुक जाना” सबसे ज़रूरी।
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उतनी ही नींद लें जितनी शरीर को तरोताज़ा करने के लिए ज़रूरी है।
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रोज़ाना लगभग दो लीटर पानी पिएँ—गैलन भरना ज़रूरी नहीं।
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सबसे अहम—धैर्य रखें और अपने शरीर के प्रति सजग रहें।
राज ने लिखा, “लोग समझते हैं कि वजन घटाने के लिए शरीर से जंग लड़नी पड़ती है, जबकि सच्चाई यह है कि यह शरीर से दोस्ती करने की प्रक्रिया है। अगर आप अपने शरीर की ज़रूरत को समझ लें, तो वह खुद आपके साथ काम करने लगता है।”
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि “कठोर डाइट और अत्यधिक अनुशासन” कई बार शरीर के नैसर्गिक संतुलन को बिगाड़ देते हैं। कई लोग अचानक कार्ब्स छोड़ देते हैं, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और नींद की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। वहीं बहुत कम कैलोरी वाले आहार शरीर के मेटाबॉलिज़्म को धीमा कर देते हैं, जिससे दीर्घकालिक रूप से वजन घटाने में मुश्किल होती है।
राज गणपत के अनुसार, स्वस्थ वजन घटाने की प्रक्रिया “आत्म-जागरूकता” से शुरू होती है। उन्होंने कहा, “अगर आप समझ जाएँ कि कब आपको भूख लगी है और कब आप सिर्फ आदतवश खा रहे हैं, तो आधी जंग वहीं जीत ली जाती है। अपने भोजन से नफरत नहीं, बल्कि उससे रिश्ता बनाइए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय भोजन को लेकर फैली भ्रांतियाँ सबसे बड़ी गलती हैं। “लोग समझते हैं कि दाल, चावल, रोटी और सब्ज़ी मोटापा बढ़ाते हैं, जबकि सच यह है कि यही संतुलित आहार हमें लंबे समय तक फिट रख सकता है—बस मात्रा और समय का ध्यान रखना ज़रूरी है।”
राज का कहना है कि वजन घटाना एक “जीवनशैली का सुधार” है, न कि कुछ महीनों की चुनौती। उन्होंने लिखा, “अगर आप थोड़ी समझदारी, निरंतरता और आत्म-नियंत्रण के साथ चलें, तो आपको किसी सख्त डाइट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आपका शरीर खुद अपना संतुलन पा लेगा।”
फिटनेस कोच की इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने शेयर किया है और कई उपयोगकर्ताओं ने इसे “सबसे व्यावहारिक फिटनेस गाइड” बताया है। कई लोगों ने टिप्पणी की कि इससे उन्हें “डाइट कल्चर” की झूठी चमक से बाहर निकलने में मदद मिली।
राज गणपत की सलाह आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बेहद प्रासंगिक लगती है—जहाँ अधिकांश लोग त्वरित परिणाम चाहते हैं लेकिन स्थायित्व खो देते हैं। उनका संदेश स्पष्ट है—वजन घटाना कोई युद्ध नहीं, बल्कि संतुलित जीवन की ओर यात्रा है।
उन्होंने अंत में लिखा, “धीरे चलिए, मगर चलते रहिए। यही फिटनेस की असली मंज़िल है।”





















