रुधौली सामूहिक दुष्कर्म प्रकरण : दंपती के मासूमों को प्रमाण पत्र दिलाने के लिए लेखपाल की ड्यूटी लगी

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रुधौली में 21 सितंबर को दंपती ने की थी खुदकुशी

तीन महीने बीत गए, सरकारी सहायता के लिए नहीं पूरी हुई औपचारिकता

महिला के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी न होने से पूरी नहीं हो पा रही प्रक्रिया

रुधौली। सामूहिक दुष्कर्म और खुदकुशी के मामले में दंपती के प्रमाणपत्रों और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए तहसील प्रशासन ने संज्ञान लिया है। इसके लिए लेखपाल की ड्यूटी लगाई गई है। लेखपाल गोरखपुर से महिला का मृत्यु प्रमाणपत्र दिलवाने के साथ ही अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए भी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कराएंगे।
रुधौली में 21 सितंबर को हुई दंपती की खुदकुशी में बच्चों को हक दिलाने की अब तक पहल नहीं हो सकी है। मामले में एसडीएम आशुतोष तिवारी ने बताया कि मृतका का प्रमाणपत्र गोरखपुर से जारी होना है। परिवार के लोग किन्हीं कारणों से अभी तक प्रमाणपत्र नहीं पा सके। ऐसे में लेखपाल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

रुधौली नगर पंचायत के शास्त्री नगर वार्ड में 21 सितंबर को एक दंपती ने कीटनाशक खा लिया था। 24 घंटे के भीतर पति-पत्नी ने दम तोड़ दिया था। पति की मौत जिला अस्पताल में और पत्नी की मौत गोरखपुर मेडिकल कालेज में हुई थी। दोनों की मौत के कुछ ही देर बाद एक-एक करके कई वीडियो सामने आए। इनमें दंपती ने वार्ड के ही नाबालिग सहित एक अन्य व्यक्ति पर पत्नी से सामूहिक दुष्कर्म से आहत होकर कीटनाशक खाने का बयान दिया था।
पुलिस ने आनन-फानन में केस दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। उस समय महिला का बिसरा व वेजाइना स्वाब गोरखपुर लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया था। जांच रिपोर्ट लैब से अब तक नहीं मिल पाई है।
पति की मृत्यु बस्ती जिला अस्पताल जबकि पत्नी की मृत्यु गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई थी। परिजनों को पति का मृत्यु प्रमाणपत्र तो जिले से जारी हो गया लेकिन पत्नी का प्रमाणपत्र अब तक गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से जारी नहीं कराया जा सका। मृतक के भाई ने बताया कि अब तक छह बार चक्कर काटने के बाद भी अस्पताल द्वारा मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। कोई न कोई पेंच बताकर उसे टाल दिया जा रहा है।

प्रमाणपत्र बिना अधर में लटकी है सहायता

घटना में पुलिस की चार्जशीट दाखिल होने के बाद परिजनों को लक्ष्मीबाई योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का मुआवजा, जिला समाज कल्याण की ओर से दोनों बच्चों को ढाई हजार रुपए प्रतिमाह के माध्यम से पेंशन, तात्कालिक लाभ रूप में राष्ट्रीय पारिवारिक योजना के माध्यम से मिलने वाले तीस हजार की राहत राशि मिलनी थी। इसके साथ ही शासन की संस्तुति के आधार पर मुख्यमंत्री विवेकाधीन सहायता राशि के माध्यम से आर्थिक लाभ मिलना था। पुलिस की चार्जशीट दाखिल होने के डेढ़ महीने बीतने के बावजूद अब तक परिजनों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है।