अयोध्या और जनकपुर में विवाह पंचमी पर होगा त्रेतायुग जैसा उल्लास, प्रभु श्रीराम और सीता के विवाह की वर्षगांठ पर सजेगा हर कोना

7
Advertisement

धर्मनगरी अयोध्या और मिथिला की पावन भूमि जनकपुर अगले कुछ दिनों में भक्ति और उल्लास के अद्भुत संगम की साक्षी बनने जा रही हैं. मंगलवार, 25 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और जनकनंदिनी सीता के पावन विवाह की वर्षगांठ 'श्रीराम विवाहोत्सव' के रूप में मनाई जाएगी. इस शुभ तिथि को 'विवाह पंचमी' के नाम से भी जाना जाता है और इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं. अयोध्या के सभी प्रमुख मठों और मंदिरों, विशेषकर रामजन्मभूमि परिसर और कनक भवन में, इस अलौकिक विवाह उत्सव को मनाने के लिए भव्य आयोजन की योजना बनाई गई है, जिससे पूरे वातावरण में मंगल ध्वनि गूंजने लगेगी.  

पंचमी तिथि के साथ जुड़ा यह पर्व मानस परंपरा में विशेष स्थान रखता है. वाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामचरितमानस में वर्णित जनकपुरी के इस स्वयंवर के प्रसंग ने सदियों से भारतीय संस्कृति में प्रेम, मर्यादा और धर्मपरायणता की स्थापना की है. इसी कारण विवाह पंचमी के दिन लोग न केवल भगवान राम और सीता के प्रतीकात्मक विवाह में सम्मिलित होते हैं, बल्कि अपने परिवार के लिए मंगल की कामना भी करते हैं. मंदिरों में सुबह से मंगलगीतों की ध्वनि गूंज रही है और पुजारियों द्वारा किए जा रहे विधि–विधान के साथ वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंग चुका है.

यहां भी पढ़े:  तेलंगाना कैबिनेट में होगी मोहम्मद अजहरुद्दीन की एंट्री, जल्द लेंगे मंत्री पद की शपथ

माना जाता है कि त्रेता युग में इसी तिथि को राम और सीता परिणय सूत्र में बंधे थे, इसलिए सनातन धर्म में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन देशभर के राम मंदिरों में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमाओं को दूल्हा-दुल्हन के रूप में सजाया जाएगा और उनका विशेष शृंगार किया जाएगा. धार्मिक अनुष्ठानों के तहत भगवान का हल्दी, मेहंदी और तेल चढ़ाए जाने से लेकर बारात निकालने तक की सभी रस्में पूरे उत्साह और परंपरा के साथ निभाई जाएंगी.

अयोध्या में कनक भवन, जो राम-सीता का मुख्य निवास माना जाता है, वहां उत्सव की छटा देखते ही बनेगी. मंदिर परिसर को देसी-विदेशी फूलों और रंगीन विद्युत सज्जा से भव्य रूप दिया जा रहा है. यहां तीन दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें राम-सीता के विवाह प्रसंग पर आधारित रामलीला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. विभिन्न अखाड़ों और संतों के आश्रमों से बैंड-बाजों के साथ भव्य बारातें निकाली जाएंगी, जो पूरे नगर का भ्रमण करेंगी. इन झांकियों को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है, जिसके लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस व्यवस्था चाक-चौबंद करने में जुटी हुई है. सरयू नदी के घाटों पर शाम के समय विशेष दीपोत्सव का आयोजन होगा, जिससे पूरी रामनगरी प्रकाशित हो उठेगी.

यहां भी पढ़े:  सागर में निकली जादूई बावड़ी!, चमत्कारी जल से बीमारियां ठीक होने का दावा, नहाने को उमड़ रही भीड़

उधर, माता सीता की जन्मस्थली नेपाल के जनकपुर धाम में भी यह पर्व किसी राष्ट्रीय उत्सव से कम नहीं होता. जनकपुर में स्थित जानकी मंदिर और राम मंदिर में पारंपरिक मैथिली रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह की रस्में पूरी की जाएंगी. यहां भारत से संतों और भक्तों का एक बड़ा समूह बारात लेकर जनकपुर पहुंचेगा, जिसका स्वागत पूरी गर्मजोशी और पारंपरिक उत्साह के साथ किया जाएगा. बारात आगमन, द्वारपूजा और फिर मध्यरात्रि में राम-सीता विवाह का दृश्य भक्तों के लिए किसी दिव्य अनुभव से कम नहीं होता. जनकपुर की गलियों में पारंपरिक लोकगीतों और सोहर गीतों की धूम रहेगी, जो मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाएगी.

धार्मिक जानकारों का मत है कि विवाहोत्सव के दिन रामचरितमानस का पाठ करना, विशेषकर बालकाण्ड में वर्णित विवाह प्रसंग का पाठ, अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से राम-सीता का विवाह संपन्न कराने से वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो रहा है, उनके लिए भी विवाह पंचमी का व्रत और पूजा अचूक मानी जाती है, जिससे उन्हें सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.

यहां भी पढ़े:  वंदे भारत उद्घाटन में छात्रों से RSS गीत गवाने पर केरल में मचा राजनीतिक तूफ़ान, शिक्षा मंत्री ने दी सख्त चेतावनी और जांच के आदेश

यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और पौराणिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करता है. अयोध्या और जनकपुर, दोनों ही जगह भक्तों का उत्साह चरम पर है और वे इस दिव्य विवाहोत्सव के साक्षी बनने को आतुर हैं.

देश के प्रमुख राम मंदिरों में इस अवसर पर विशेष साज–सज्जा की गई है. अयोध्या में रामलला के मंदिर से लेकर जनकपुर में जानकी मंदिर तक भव्य तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं. पुष्प सज्जा, दीपों की श्रृंखला और रथ–झांकियों के माध्यम से विवाहोत्सव को पारंपरिक रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी है. कई स्थलों पर राम–सीता का पालकी सोहला आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भक्तगण गीत–भजनों के साथ शोभायात्रा में शामिल होंगे. आयोजकों का कहना है कि पूरे दिन विवाह की वैदिक रस्में क्रमशः संपन्न होंगी, जिनमें तिलक, कंकन–बंधन, वरमाला, फेरे और कन्यादान प्रतीकात्मक रूप से किए जाएंगे.

Advertisement