चरदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शनिवार को आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय न मिलने के विरोध में प्रदर्शन किया और अस्पताल के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। इस अचानक हुई तालाबंदी से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमति के अस्पताल के सभी गेटों पर ताला जड़ने के कारण कई इमरजेंसी मरीज इलाज के लिए अस्पताल परिसर में भटकते रहे, लेकिन उन्हें अंदर प्रवेश नहीं मिल सका। इस स्थिति से मरीजों को गंभीर असुविधा हुई। अस्पताल प्रबंधन ने इस तालाबंदी को पूरी तरह अवैध बताया है। चरदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. महेश विश्वकर्मा ने जानकारी दी कि अस्पताल प्रशासन ने सभी आशा कार्यकर्ताओं का डेटा उच्च अधिकारियों को भेज दिया है और उनके मानदेय का भुगतान जल्द ही खातों में आने की संभावना है। डॉ. विश्वकर्मा ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं का यह धरना गैरकानूनी है, क्योंकि इसके लिए न तो कोई ज्ञापन दिया गया और न ही कोई पूर्व सूचना। उन्होंने इसे जनहित के खिलाफ और अनुशासनहीनता बताया। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपनी समस्याओं को वैधानिक तरीके से रखें और मरीजों की जान से खिलवाड़ न करें। इस अवैध तालाबंदी के कारण अस्पताल की सेवाएं बाधित रहीं और कई मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ा। स्थानीय नागरिकों ने भी आशा कार्यकर्ताओं की इस कार्रवाई की निंदा की है।












































