अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के कोतवाली जरवा अंतर्गत पिपरा दुर्गा नगर गांव में जय मां दुर्गे रामलीला पार्टी द्वारा आयोजित आठ दिवसीय रामलीला के चौथे दिन राम-सीता विवाह लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष विवेक गोयल, बड़े बाबू सुभाष चंद्र मिश्र, इंजीनियर गौरव, वैभव और ग्राम छपिया सुखरामपुर प्रधान रामकेश मौर्य ने राम दरबार में अखंड दीप प्रज्वलित कर आरती उतारी।रामलीला के मंचन में धनुष यज्ञ का दृश्य दिखाया गया। राजा जनक ने गुरु से आग्रह किया कि वे महर्षि विश्वामित्र को श्रीराम-लक्ष्मण सहित स्वयंवर में आमंत्रित करें। महर्षि विश्वामित्र राम-लक्ष्मण के साथ मिथिला पहुंच जाते हैं।इसी बीच बाणासुर भी मिथिला की ओर जा रहा होता है, तभी रास्ते में रावण से उसकी टक्कर हो जाती है। दोनों में भयंकर युद्ध होता है, जिसमें बाणासुर भाग जाता है। रावण मिथिला पहुंचकर धनुष तोड़ने का प्रयास करता है, परंतु आकाशवाणी सुनकर वह भी लंका लौट जाता है।इसके बाद उपस्थित राजा अपने बल का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला भी नहीं पाता। जब राजा जनक निराश होकर क्षत्रिय वीरों से पृथ्वी के रिक्त होने की बात कहते हैं, तो लक्ष्मण क्रोधित हो जाते हैं। महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम शिव धनुष को भंग कर देते हैं।धनुष भंग होते ही परशुराम क्रोधित होकर महल में आते हैं और जनक से धनुष तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं। इस पर लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखी बहस होती है। इसके बाद श्रीराम अपना पराक्रम दिखाते हुए धनुष तोड़ने की बात स्वीकारते हैं, तब परशुराम सभी को आशीर्वाद देकर वहां से चले जाते हैं।इसके उपरांत सीता श्रीराम के गले में वरमाला डाल देती हैं। राम-सीता विवाह संपन्न होने के बाद अयोध्या से बैंडबाजे पर नाचते-गाते और आतिशबाजी करते युवाओं ने पूरे गांव में धूमधाम से राम बारात निकाली।ग्रामीणों ने बारात का अपने घरों के आगे जलपान कराकर स्वागत किया और पुष्पवर्षा कर आरती उतारी।
पिपरा दुर्गा नगर में राम-सीता विवाह संपन्न:धूमधाम से निकली राम बारात, युवाओं ने किया आतिशबाजी और नृत्य
अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के कोतवाली जरवा अंतर्गत पिपरा दुर्गा नगर गांव में जय मां दुर्गे रामलीला पार्टी द्वारा आयोजित आठ दिवसीय रामलीला के चौथे दिन राम-सीता विवाह लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष विवेक गोयल, बड़े बाबू सुभाष चंद्र मिश्र, इंजीनियर गौरव, वैभव और ग्राम छपिया सुखरामपुर प्रधान रामकेश मौर्य ने राम दरबार में अखंड दीप प्रज्वलित कर आरती उतारी।रामलीला के मंचन में धनुष यज्ञ का दृश्य दिखाया गया। राजा जनक ने गुरु से आग्रह किया कि वे महर्षि विश्वामित्र को श्रीराम-लक्ष्मण सहित स्वयंवर में आमंत्रित करें। महर्षि विश्वामित्र राम-लक्ष्मण के साथ मिथिला पहुंच जाते हैं।इसी बीच बाणासुर भी मिथिला की ओर जा रहा होता है, तभी रास्ते में रावण से उसकी टक्कर हो जाती है। दोनों में भयंकर युद्ध होता है, जिसमें बाणासुर भाग जाता है। रावण मिथिला पहुंचकर धनुष तोड़ने का प्रयास करता है, परंतु आकाशवाणी सुनकर वह भी लंका लौट जाता है।इसके बाद उपस्थित राजा अपने बल का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला भी नहीं पाता। जब राजा जनक निराश होकर क्षत्रिय वीरों से पृथ्वी के रिक्त होने की बात कहते हैं, तो लक्ष्मण क्रोधित हो जाते हैं। महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम शिव धनुष को भंग कर देते हैं।धनुष भंग होते ही परशुराम क्रोधित होकर महल में आते हैं और जनक से धनुष तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं। इस पर लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखी बहस होती है। इसके बाद श्रीराम अपना पराक्रम दिखाते हुए धनुष तोड़ने की बात स्वीकारते हैं, तब परशुराम सभी को आशीर्वाद देकर वहां से चले जाते हैं।इसके उपरांत सीता श्रीराम के गले में वरमाला डाल देती हैं। राम-सीता विवाह संपन्न होने के बाद अयोध्या से बैंडबाजे पर नाचते-गाते और आतिशबाजी करते युवाओं ने पूरे गांव में धूमधाम से राम बारात निकाली।ग्रामीणों ने बारात का अपने घरों के आगे जलपान कराकर स्वागत किया और पुष्पवर्षा कर आरती उतारी।









































