बिखरते रिश्ते, नाराजगी, अविश्वास और अलगाव की कगार पर पहुंचे सात परिवारों को महिला थाना सिद्धार्थनगर की टीम ने फिर से जोड़ दिया। मिशन शक्ति केंद्र में रविवार को हुए विशेष काउंसलिंग सत्र में सभी 7 जोड़ों को भावनात्मक संवाद के जरिए एक होने के लिए राजी कराया गया। काउंसलिंग के बाद सभी जोड़ों को सम्मानपूर्वक एक साथ विदा किया गया। इस दौरान माहौल खुशी और उम्मीदों से भर गया। क्षेत्राधिकारी विश्वजीत सोरयान के पर्यवेक्षण में महिला थाना प्रभारी भाग्यवती पाण्डेय लगातार पारिवारिक विवादों पर विशेष ध्यान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि, “हमारा उद्देश्य किसी पक्ष को दबाना नहीं, बल्कि सही रास्ता दिखाना है। मिशन शक्ति केंद्र केवल रिपोर्ट दर्ज करने तक सीमित नहीं, बल्कि टूटते रिश्तों को जोड़ने का भी काम कर रहा है।” कैसे सुलझे विवाद इन जोड़ों के बीच घरेलू तकरार, आर्थिक मतभेद, अविश्वास और रिश्तेदारों के दखल जैसी वजहों से तनाव था। महिला थाना की टीम ने पहले दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की, फिर संयुक्त काउंसलिंग कराई। धीरे-धीरे संवाद बढ़ा और रिश्ते की गांठें खुलती गईं। अंततः सभी दंपतियों ने साथ रहने का निर्णय लिया। काउंसलिंग टीम की अहम भूमिका टीम में उपनिरीक्षक राम नारायण शुक्ला, महिला हेड कांस्टेबल आशा गौड़, रीना रावत, महिला आरक्षी संगीता गौतम, शिवानी सिंह और नेहा सिंह शामिल रहीं। टीम लगातार परिवारों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती रही, जिसकी मेहनत से सात घर टूटने से बच गए। ये सात जोड़े फिर साथ हुए
सिद्धार्थनगर में फिर एक साथ आए 7 जोड़े:मिशन शक्ति केंद्र पर भावनात्मक काउंसलिंग के बाद हुई विदाई
बिखरते रिश्ते, नाराजगी, अविश्वास और अलगाव की कगार पर पहुंचे सात परिवारों को महिला थाना सिद्धार्थनगर की टीम ने फिर से जोड़ दिया। मिशन शक्ति केंद्र में रविवार को हुए विशेष काउंसलिंग सत्र में सभी 7 जोड़ों को भावनात्मक संवाद के जरिए एक होने के लिए राजी कराया गया। काउंसलिंग के बाद सभी जोड़ों को सम्मानपूर्वक एक साथ विदा किया गया। इस दौरान माहौल खुशी और उम्मीदों से भर गया। क्षेत्राधिकारी विश्वजीत सोरयान के पर्यवेक्षण में महिला थाना प्रभारी भाग्यवती पाण्डेय लगातार पारिवारिक विवादों पर विशेष ध्यान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि, “हमारा उद्देश्य किसी पक्ष को दबाना नहीं, बल्कि सही रास्ता दिखाना है। मिशन शक्ति केंद्र केवल रिपोर्ट दर्ज करने तक सीमित नहीं, बल्कि टूटते रिश्तों को जोड़ने का भी काम कर रहा है।” कैसे सुलझे विवाद इन जोड़ों के बीच घरेलू तकरार, आर्थिक मतभेद, अविश्वास और रिश्तेदारों के दखल जैसी वजहों से तनाव था। महिला थाना की टीम ने पहले दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की, फिर संयुक्त काउंसलिंग कराई। धीरे-धीरे संवाद बढ़ा और रिश्ते की गांठें खुलती गईं। अंततः सभी दंपतियों ने साथ रहने का निर्णय लिया। काउंसलिंग टीम की अहम भूमिका टीम में उपनिरीक्षक राम नारायण शुक्ला, महिला हेड कांस्टेबल आशा गौड़, रीना रावत, महिला आरक्षी संगीता गौतम, शिवानी सिंह और नेहा सिंह शामिल रहीं। टीम लगातार परिवारों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती रही, जिसकी मेहनत से सात घर टूटने से बच गए। ये सात जोड़े फिर साथ हुए




















