महराजगंज जिले के फरेंदा विकासखंड के अधिकांश गाँव शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। इंडिया मार्का हैंडपंपों से निकलने वाला पानी कुछ ही देर में पीला पड़ जाता है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार की महत्वाकांक्षी ‘जल जीवन मिशन’ योजना के तहत ‘हर घर नल, हर घर जल’ का दावा यहाँ हवा-हवाई साबित हो रहा है। फरेंदा विकासखंड के दर्जनों गाँवों में इंडिया मार्का हैंडपंप ही पानी का मुख्य स्रोत हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन हैंडपंपों से निकलने वाले पानी में गंदगी और जंग मिली होती है, जिसके कारण यह तुरंत पीला हो जाता है। इस दूषित पानी के सेवन से पेट संबंधी बीमारियाँ फैल रही हैं। जल जीवन मिशन का लक्ष्य ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन फरेंदा क्षेत्र में यह सपना अधूरा है। योजना के तहत पानी की गुणवत्ता की निगरानी, फील्ड टेस्ट किट और नियमित परीक्षण पर जोर दिया गया था, पर स्थानीय स्तर पर ये सुविधाएँ नदारद हैं। कई गाँवों में पाइपलाइन बिछाई गई हैं, लेकिन पानी के कम दबाव के कारण घरों तक पानी नहीं पहुँच पाता। स्थानीय किसान रामू ने बताया, “हैंडपंप का पानी पीने लायक नहीं है, इसे पीकर बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। नल का पानी तो हमारे लिए एक सपना ही है।” सुनीता, विमला और सुमन नामक महिलाओं ने भी शिकायत की, “हमने जल जीवन मिशन का नाम तो सुना है, लेकिन हमारे घर तक पानी नहीं पहुँचा।” ग्राम प्रधान ने रखरखाव की कमी को योजनाओं की विफलता का मुख्य कारण बताया। जिला प्रशासन का दावा है कि मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी ऐसी ही शिकायतें सामने आई हैं, जहाँ कागजों पर 80% काम पूरा दिखाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पानी की गुणवत्ता परीक्षण और उचित रखरखाव पर ध्यान न देने से यह समस्या लगातार बढ़ रही है।
गांव के लोगों को नहीं मिल रहा शुद्ध पानी: सरकार के ‘हर घर जल’ के दावे खोखले साबित हो रहे हैं – Pharenda News
महराजगंज जिले के फरेंदा विकासखंड के अधिकांश गाँव शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। इंडिया मार्का हैंडपंपों से निकलने वाला पानी कुछ ही देर में पीला पड़ जाता है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार की महत्वाकांक्षी ‘जल जीवन मिशन’ योजना के तहत ‘हर घर नल, हर घर जल’ का दावा यहाँ हवा-हवाई साबित हो रहा है। फरेंदा विकासखंड के दर्जनों गाँवों में इंडिया मार्का हैंडपंप ही पानी का मुख्य स्रोत हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन हैंडपंपों से निकलने वाले पानी में गंदगी और जंग मिली होती है, जिसके कारण यह तुरंत पीला हो जाता है। इस दूषित पानी के सेवन से पेट संबंधी बीमारियाँ फैल रही हैं। जल जीवन मिशन का लक्ष्य ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन फरेंदा क्षेत्र में यह सपना अधूरा है। योजना के तहत पानी की गुणवत्ता की निगरानी, फील्ड टेस्ट किट और नियमित परीक्षण पर जोर दिया गया था, पर स्थानीय स्तर पर ये सुविधाएँ नदारद हैं। कई गाँवों में पाइपलाइन बिछाई गई हैं, लेकिन पानी के कम दबाव के कारण घरों तक पानी नहीं पहुँच पाता। स्थानीय किसान रामू ने बताया, “हैंडपंप का पानी पीने लायक नहीं है, इसे पीकर बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। नल का पानी तो हमारे लिए एक सपना ही है।” सुनीता, विमला और सुमन नामक महिलाओं ने भी शिकायत की, “हमने जल जीवन मिशन का नाम तो सुना है, लेकिन हमारे घर तक पानी नहीं पहुँचा।” ग्राम प्रधान ने रखरखाव की कमी को योजनाओं की विफलता का मुख्य कारण बताया। जिला प्रशासन का दावा है कि मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी ऐसी ही शिकायतें सामने आई हैं, जहाँ कागजों पर 80% काम पूरा दिखाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पानी की गुणवत्ता परीक्षण और उचित रखरखाव पर ध्यान न देने से यह समस्या लगातार बढ़ रही है।









































