सिद्धार्थनगर के बढ़नी स्थित नेत्रालय में मोतियाबिंद के मरीजों को विश्वस्तरीय इलाज की सुविधा मिल रही है। अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत ‘फेकोइमल्सीफिकेशन’ नामक अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके मोतियाबिंद की सफल और दर्दरहित सर्जरी मुफ्त कर रहा है। सिद्धार्थ नेत्रालय में मोतियाबिंद की यह सर्जरी एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है, जिससे मरीजों को तेज रिकवरी और बेहतर दृष्टि मिलती है। ‘फेको’ विधि में बहुत छोटा कट लगाया जाता है, जिसमें टांके की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है। ऑपरेशन से पहले किसी बड़े इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती और सर्जरी के बाद पट्टी भी नहीं बांधी जाती, जिससे मरीज को तुरंत आराम महसूस होता है। मरीजों की आंखों की जरूरत के हिसाब से सबसे उन्नत और बेहतर गुणवत्ता वाले इंट्रा-ओकुलर लेंस लगाए जाते हैं, जो बेहतर और स्पष्ट दृष्टि सुनिश्चित करते हैं। गरीब और जरूरतमंद लोग भी इस महंगे और अत्याधुनिक इलाज का लाभ आयुष्मान कार्ड के माध्यम से बिल्कुल निःशुल्क उठा सकते हैं। सिद्धार्थ नेत्रालय के सर्जन डॉ. नदीम अहमद के अनुसार, यह विधि मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें मोतियाबिंद के डर या इलाज के खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिद्धार्थ नेत्रालय बेहतर स्वास्थ्य सेवा को सभी की पहुंच में ला रहा है। डॉ. नदीम अहमद ने यह भी बताया कि यदि आपके परिवार या आसपास किसी को मोतियाबिंद की समस्या है और उनके पास आयुष्मान कार्ड है, तो वे सिद्धार्थ नेत्रालय, बढ़नी में इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
सिद्धार्थ नेत्रालय बढ़नी में फेको तकनीक से मुफ्त सर्जरी:आयुष्मान कार्ड पर मोतियाबिंद और नाखूना का अत्याधुनिक इलाज
सिद्धार्थनगर के बढ़नी स्थित नेत्रालय में मोतियाबिंद के मरीजों को विश्वस्तरीय इलाज की सुविधा मिल रही है। अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत ‘फेकोइमल्सीफिकेशन’ नामक अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके मोतियाबिंद की सफल और दर्दरहित सर्जरी मुफ्त कर रहा है। सिद्धार्थ नेत्रालय में मोतियाबिंद की यह सर्जरी एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है, जिससे मरीजों को तेज रिकवरी और बेहतर दृष्टि मिलती है। ‘फेको’ विधि में बहुत छोटा कट लगाया जाता है, जिसमें टांके की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है। ऑपरेशन से पहले किसी बड़े इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती और सर्जरी के बाद पट्टी भी नहीं बांधी जाती, जिससे मरीज को तुरंत आराम महसूस होता है। मरीजों की आंखों की जरूरत के हिसाब से सबसे उन्नत और बेहतर गुणवत्ता वाले इंट्रा-ओकुलर लेंस लगाए जाते हैं, जो बेहतर और स्पष्ट दृष्टि सुनिश्चित करते हैं। गरीब और जरूरतमंद लोग भी इस महंगे और अत्याधुनिक इलाज का लाभ आयुष्मान कार्ड के माध्यम से बिल्कुल निःशुल्क उठा सकते हैं। सिद्धार्थ नेत्रालय के सर्जन डॉ. नदीम अहमद के अनुसार, यह विधि मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें मोतियाबिंद के डर या इलाज के खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिद्धार्थ नेत्रालय बेहतर स्वास्थ्य सेवा को सभी की पहुंच में ला रहा है। डॉ. नदीम अहमद ने यह भी बताया कि यदि आपके परिवार या आसपास किसी को मोतियाबिंद की समस्या है और उनके पास आयुष्मान कार्ड है, तो वे सिद्धार्थ नेत्रालय, बढ़नी में इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।









































