बलरामपुर में ऑपरेशन कनविक्शन के तहत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई में, आर्म्स एक्ट के आरोपी वंशीलाल को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। उसे 1000 रुपये का अर्थदंड और न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई गई है। यह फैसला प्रभावी पैरवी के बाद आया है। यह मामला 29 अगस्त 2003 का है, जब थाना ललिया क्षेत्र में अभियुक्त वंशीलाल पुत्र नानमुन निवासी गोकुली, थाना ललिया, बलरामपुर के कब्जे से एक अवैध चाकू बरामद किया गया था। इस संबंध में थाना ललिया में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना उपनिरीक्षक काजी अब्दुल हक द्वारा की गई थी, जिसके बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कनविक्शन’ के तहत, पुलिस अधीक्षक बलरामपुर विकास कुमार के निर्देशन में इस मुकदमे की प्रभावी पैरवी की गई। विचारण के दौरान, मॉनिटरिंग सेल के नोडल प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पाण्डेय के नेतृत्व में सहायक अभियोजन अधिकारी विनय वर्मा और प्रभारी मॉनिटरिंग सेल बृजानंद सिंह ने थाना ललिया के साथ मिलकर मजबूत पैरवी की। इसी के परिणामस्वरूप, बलरामपुर के JM-I न्यायालय ने वंशीलाल को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई।
बलरामपुर में आर्म्स एक्ट के आरोपी को सजा:कोर्ट ने 1000 रुपये अर्थदंड व उठने तक की सजा सुनाई
बलरामपुर में ऑपरेशन कनविक्शन के तहत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई में, आर्म्स एक्ट के आरोपी वंशीलाल को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। उसे 1000 रुपये का अर्थदंड और न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई गई है। यह फैसला प्रभावी पैरवी के बाद आया है। यह मामला 29 अगस्त 2003 का है, जब थाना ललिया क्षेत्र में अभियुक्त वंशीलाल पुत्र नानमुन निवासी गोकुली, थाना ललिया, बलरामपुर के कब्जे से एक अवैध चाकू बरामद किया गया था। इस संबंध में थाना ललिया में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना उपनिरीक्षक काजी अब्दुल हक द्वारा की गई थी, जिसके बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कनविक्शन’ के तहत, पुलिस अधीक्षक बलरामपुर विकास कुमार के निर्देशन में इस मुकदमे की प्रभावी पैरवी की गई। विचारण के दौरान, मॉनिटरिंग सेल के नोडल प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पाण्डेय के नेतृत्व में सहायक अभियोजन अधिकारी विनय वर्मा और प्रभारी मॉनिटरिंग सेल बृजानंद सिंह ने थाना ललिया के साथ मिलकर मजबूत पैरवी की। इसी के परिणामस्वरूप, बलरामपुर के JM-I न्यायालय ने वंशीलाल को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई।









































