5 नवंबर को देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा पर पांच महायोग का दुर्लभ संयोग

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भारतीय सनातन परंपरा में कार्तिक पूर्णिमा का दिन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का चरम होता है, बल्कि इस वर्ष 5 नवंबर 2025 को यह तिथि कई दुर्लभ और महाशुभ योगों के साथ आ रही है, जिसने इस पर्व के महत्व को कई गुना बढ़ा दिया है. धार्मिक ग्रंथों में इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, सिद्धि योग, रवियोग, गजकेसरी योग और लक्ष्मीनारायण योग (बुध-शुक्र के प्रभाव से) जैसे पाँच प्रमुख शुभ योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है. धर्म विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संयोग में किए गए दान, स्नान, और पूजन का फल अक्षय होता है और यह पुनर्जन्म के पापों से मुक्ति दिलाता है.

पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, नर्मदा, यमुना और क्षिप्रा में स्नान और दीपदान का इस दिन विशेष महत्व है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. यही कारण है कि इस दिन किया गया पवित्र नदी स्नान व्यक्ति को केवल शारीरिक शुद्धता नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी प्रदान करता है. काशी (वाराणसी) और उज्जैन जैसे धर्मस्थलों पर इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं, जहां लाखों दीपक जलाकर देव दीपावली मनाई जाती है. यह माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओं को भयमुक्त किया था, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस विजय के उपलक्ष्य में देवता स्वर्ग में दीपोत्सव मनाते हैं, और उसी परंपरा का पालन पृथ्वी पर किया जाता है.

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शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धार्मिक अनुष्ठानों और शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त जानना अत्यंत आवश्यक है. इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ और स्नान-दान के समय का विशेष महत्व है. 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा तिथि सूर्योदय से पूर्व ही शुरू हो जाएगी और पूरे दिन व्याप्त रहेगी.

अनुष्ठान शुभ मुहूर्त (लगभग)
पूर्णिमा तिथि आरंभ 4 नवंबर 2025, शाम 04:30 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त 5 नवंबर 2025, दोपहर 02:40 बजे तक
पवित्र स्नान का समय (ब्रह्म मुहूर्त) 5 नवंबर 2025, प्रातः 04:00 बजे से सूर्योदय तक
सत्यनारायण पूजा/व्रत का समय 5 नवंबर 2025, दिन भर
दीपदान का मुख्य मुहूर्त (देव दीपावली) 5 नवंबर 2025, संध्याकाल (सूर्यास्त के बाद)
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इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार सत्यनारायण की पूजा का विधान है. सुबह स्नान करने के बाद भक्त पीले वस्त्र धारण करते हैं. घर के पूजा स्थल पर सत्यनारायण कथा का पाठ किया जाता है, जिसमें केले के पत्ते, पंचामृत और विभिन्न प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं. कथा के समापन के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है. यह माना जाता है कि जो भक्त कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं, उनके समस्त कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है.

दीपदान और दान-पुण्य का अक्षय फल

देव दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान दीपदान है. सूर्यास्त के बाद, पवित्र नदियों के घाटों पर, मंदिरों में, पीपल के पेड़ के नीचे और तुलसी के पौधे के पास दीपक (मिट्टी के दीये) जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है. दीपक जलाना अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है. काशी में इस दिन होने वाला विशाल दीपदान का नजारा देखने लायक होता है, जब लाखों दीपकों से घाट जगमगा उठते हैं.

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दान के महत्व पर बात करते हुए धर्मगुरु बताते हैं कि इन शुभ योगों के साथ जब पूर्णिमा तिथि पड़ती है, तो किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. इस दिन अन्न, वस्त्र, कंबल, घी और मिठाई का दान करना चाहिए. विशेष रूप से, गरीब और जरूरतमंद लोगों को दिया गया दान पूर्व और इस जन्म के सभी पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है. इसके अलावा, तुलसी विवाह की समाप्ति और चातुर्मास की समाप्ति होने के कारण इस दिन से सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि फिर से शुरू हो जाते हैं, जिससे यह तिथि पर्वों का समापन और नई शुरुआत का प्रतीक बन जाती है.

ज्योतिष और धर्म के जानकारों के अनुसार, 5 नवंबर 2025 का यह दुर्लभ संयोग सभी लोगों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ानेआर्थिक संकटों को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने का एक स्वर्णिम अवसर है. इसलिए, सभी भक्तों को चाहिए कि वे इस दिन पवित्र स्नान, दीपदान और सामर्थ्यानुसार दान करके इस शुभ समय का पूरा लाभ उठाएं और अपने जीवन को सुखमय बनाएं.

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