विक्रमजोत विकास क्षेत्र के प्रसिद्ध अमोलीपुर हनुमान मंदिर में अगहन पूर्णिमा के अवसर पर गुरुवार को वार्षिक मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में क्षेत्रीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज के गांवों से भी बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। श्रद्धालुओं ने सुबह से ही मेले में जुटना शुरू कर दिया था। उन्होंने मंदिर परिसर में बने पोखरे में आचमन कर हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन किया। मेले में किसानों ने खेती-किसानी के सामान खरीदे, जबकि महिलाओं ने घरेलू उपयोग की वस्तुएं लीं। बच्चों ने झूलों और ड्रैगन राइड का आनंद उठाया। बुजुर्गों के अनुसार, हर साल खेती-किसानी का काम खत्म होने के बाद अगहन मास की पूर्णिमा को यह मेला लगता है। किसान वर्षों से यहां खेती के सामान खरीदने के लिए इकट्ठा होते रहे हैं। सिंचाई में प्रयोग होने वाला ‘हाथा’ इस मेले का मुख्य आकर्षण रहा। इस हनुमान मंदिर का विशेष महात्म्य है। बताया जाता है कि इसका निर्माण बाबा बालक दास ने अमोढ़ा के राजा जालिम सिंह के सहयोग से करवाया था। तब से हर मंगलवार और शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है, और अगहन पूर्णिमा पर एक विशाल मेले का आयोजन होता है। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। थानाध्यक्ष छावनी जनार्दन प्रसाद और चौकी प्रभारी विक्रमजोत शशिशेखर सिंह के नेतृत्व में नजदीकी थानों के पुलिसकर्मी व्यवस्था संभाले रहे। थानाध्यक्ष ने बताया कि मेले में पुलिस सहायता केंद्र और खोया-पाया केंद्र का भी उचित प्रबंध किया गया था। अमोलीपुर मेले की एक मान्यता यह भी है कि यहां प्रति वर्ष अगहन मास की पूर्णिमा के दिन समाधि स्थल के बगल स्थित एक छोटे से पोखरे में स्नान कर हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन करने आते हैं। इस पवित्र पोखरे के जल में सात पवित्र नदियों का जल मिला होने की मान्यता है।









































