डुमरियागंज में बुधवार को डुमरियागंज के बार भवन में आदर्श बार, प्रोग्रेसिव बार और बार एसोसिएशन द्वारा भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती ‘अधिवक्ता दिवस’ के रूप में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में वक्ताओं ने समाज में न्याय व्यवस्था की आधारशिला के रूप में अधिवक्ताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गरीब और जरूरतमंदों को न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की मेहनत, समर्पण और अनुभव महत्वपूर्ण होता है। वक्ताओं ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सरल जीवन और प्रेरणादायी विचारों का उल्लेख किया। उन्होंने नई पीढ़ी के अधिवक्ताओं से उनके मूल्यों से सीख लेकर समाज और राष्ट्र के हित में कार्य करने का आह्वान किया। अधिवक्ताओं ने वकालत पेशे को पवित्र और जिम्मेदारीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद की व्यवस्था तक वकीलों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई स्वतंत्रता सेनानी भी पेशे से वकील थे, जिन्होंने न्याय और अधिकारों की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर इकबाल यूसुफ मलिक, रमापति सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव, इंद्रमणि पाण्डेय, देवेंद्र पाठक, वीरेंद्र सिंह, बालमुकुंद श्रीवास्तव, ओम प्रकाश, शक्ति प्रकाश, शैलेंद्र रावत, आशीष श्रीवास्तव, कृष्णकांत, राजेश दुबे, सुभाष विश्वकर्मा, रजनीश पाण्डेय, इंद्रासन त्रिपाठी, राहुल सिंह, विपुल पाठक, रमन श्रीवास्तव, पवन, अनिल, अमित, सुनील सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।
अधिवक्ता दिवस पर संगोष्ठी आयोजित:डॉ. राजेंद्र प्रसाद के मूल्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान
डुमरियागंज में बुधवार को डुमरियागंज के बार भवन में आदर्श बार, प्रोग्रेसिव बार और बार एसोसिएशन द्वारा भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती ‘अधिवक्ता दिवस’ के रूप में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में वक्ताओं ने समाज में न्याय व्यवस्था की आधारशिला के रूप में अधिवक्ताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गरीब और जरूरतमंदों को न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की मेहनत, समर्पण और अनुभव महत्वपूर्ण होता है। वक्ताओं ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सरल जीवन और प्रेरणादायी विचारों का उल्लेख किया। उन्होंने नई पीढ़ी के अधिवक्ताओं से उनके मूल्यों से सीख लेकर समाज और राष्ट्र के हित में कार्य करने का आह्वान किया। अधिवक्ताओं ने वकालत पेशे को पवित्र और जिम्मेदारीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद की व्यवस्था तक वकीलों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई स्वतंत्रता सेनानी भी पेशे से वकील थे, जिन्होंने न्याय और अधिकारों की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर इकबाल यूसुफ मलिक, रमापति सिंह, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव, इंद्रमणि पाण्डेय, देवेंद्र पाठक, वीरेंद्र सिंह, बालमुकुंद श्रीवास्तव, ओम प्रकाश, शक्ति प्रकाश, शैलेंद्र रावत, आशीष श्रीवास्तव, कृष्णकांत, राजेश दुबे, सुभाष विश्वकर्मा, रजनीश पाण्डेय, इंद्रासन त्रिपाठी, राहुल सिंह, विपुल पाठक, रमन श्रीवास्तव, पवन, अनिल, अमित, सुनील सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।








































