बलरामपुर जिले में मिट्टी की सेहत सुधारने और उर्वरक के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘धरती माता बचाओ अभियान’ शुरू किया गया है। यह अभियान गांव से लेकर जिला स्तर तक चलाया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को खाद के संतुलित उपयोग के प्रति जागरूक करना, खेती की लागत कम करना और खाद की कालाबाजारी व तस्करी पर नियंत्रण स्थापित करना है। इस अभियान से जिले के लगभग सवा तीन लाख किसानों को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए जिले की सभी 793 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में निगरानी समितियां गठित की गई हैं। इन समितियों का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि उर्वरक का गैर-कृषि उपयोग न हो और अवैध बिक्री या ओवर-रेटिंग जैसी घटनाएं सामने न आएं। अभियान के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही उर्वरक का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और फसलों का उत्पादन बेहतर होगा। जिलाधिकारी विपिन कुमार जैन ने जानकारी दी कि तहसील स्तर पर भी उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में समितियां बनाई गई हैं। ये समितियां ग्राम स्तर पर होने वाली बैठकों और निगरानी समितियों के कार्यों की नियमित समीक्षा करेंगी। पूरे जिले में खाद की उपलब्धता और उसके उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। जिन क्षेत्रों में रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग हो रहा है, वहां विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। नियमों का उल्लंघन करने वाले खाद विक्रेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, गिरफ्तारी और लाइसेंस निलंबित करने जैसी सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि इस अभियान से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही, संतुलित खाद उपयोग से खेती की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
बलरामपुर में 'धरती माता बचाओ' अभियान, उर्वरक दुरुपयोग पर सख्ती:नियमों का उल्लंघन करने वाले खाद विक्रेताओं के खिलाफ होगी कार्रवाई
बलरामपुर जिले में मिट्टी की सेहत सुधारने और उर्वरक के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘धरती माता बचाओ अभियान’ शुरू किया गया है। यह अभियान गांव से लेकर जिला स्तर तक चलाया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को खाद के संतुलित उपयोग के प्रति जागरूक करना, खेती की लागत कम करना और खाद की कालाबाजारी व तस्करी पर नियंत्रण स्थापित करना है। इस अभियान से जिले के लगभग सवा तीन लाख किसानों को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए जिले की सभी 793 ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में निगरानी समितियां गठित की गई हैं। इन समितियों का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि उर्वरक का गैर-कृषि उपयोग न हो और अवैध बिक्री या ओवर-रेटिंग जैसी घटनाएं सामने न आएं। अभियान के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही उर्वरक का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और फसलों का उत्पादन बेहतर होगा। जिलाधिकारी विपिन कुमार जैन ने जानकारी दी कि तहसील स्तर पर भी उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में समितियां बनाई गई हैं। ये समितियां ग्राम स्तर पर होने वाली बैठकों और निगरानी समितियों के कार्यों की नियमित समीक्षा करेंगी। पूरे जिले में खाद की उपलब्धता और उसके उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। जिन क्षेत्रों में रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग हो रहा है, वहां विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। नियमों का उल्लंघन करने वाले खाद विक्रेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, गिरफ्तारी और लाइसेंस निलंबित करने जैसी सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि इस अभियान से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही, संतुलित खाद उपयोग से खेती की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।









































