बस्ती के सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स के मौके पर अजमेर शरीफ जाने वाले जायरीनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 27 दिसंबर को अजमेर में उर्स का मुख्य आयोजन होना है, लेकिन जायरीनों को लेकर चलाई गई स्पेशल ट्रेन 26 दिसंबर को ही वापस लौट रही है। इस फैसले से बस्ती समेत पूर्वांचल के सैकड़ों जायरीनों में भारी नाराजगी है। बस्ती रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने आए जायरीनों का कहना है कि उर्स के मुख्य दिन 27 दिसंबर को अजमेर शरीफ में जियारत और रस्मों में शिरकत करना उनकी धार्मिक आस्था का विषय है। ऐसे में एक दिन पहले ही स्पेशल ट्रेन का लौट जाना समझ से परे है। उनका मानना है कि इस निर्णय से न केवल जायरीन उर्स से वंचित हो जाएंगे, बल्कि उनकी पहले से की गई यात्रा की तैयारियां भी व्यर्थ हो जाएंगी। स्थानीय जायरीन कलीमुद्दीन, मोहम्मद सफी, मोहम्मद बसीर और हाजी पीर मोहम्मद ने इस व्यवस्था पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि रेलवे और संबंधित विभागों को उर्स की तारीख को ध्यान में रखते हुए ट्रेन संचालन की योजना बनानी चाहिए थी। जायरीनों ने आरोप लगाया कि हर साल उर्स के दौरान विशेष ट्रेनों की मांग के बावजूद यात्रियों की सुविधाओं की अनदेखी की जाती है। जायरीनों ने यह भी बताया कि कई लोग छुट्टी लेकर, चंदा इकट्ठा कर और समूह बनाकर अजमेर जाने की तैयारी करते हैं। ऐसे में ऐन वक्त पर ट्रेन की वापसी की तारीख तय कर देना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने रेलवे प्रशासन से मांग की है कि स्पेशल ट्रेन को कम से कम 27 दिसंबर की रात या 28 दिसंबर को वापस चलाया जाए, ताकि जायरीन उर्स के मुख्य आयोजन में शामिल हो सकें और अपनी जियारत पूरी कर सकें।









































