Ganesh Chaturthi 2024: 6 या 7, कब है गणेश चतुर्थी? जानिए घर में स्थापना के लिए कैसी होनी चाहिए गणपति की मूर्ति
घरों में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए लोग बाजार से गणेश प्रतिमा को लाते हैं और विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा करते हैं। यदि आप भी इस बार घर पर गणेशजी को बैठाने की सोच रहे हैं तो गणेशजी की मूर्ति के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं इसके बारे में।
1. कैसा हो गणेश मूर्ति का स्वरूप?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेशजी की प्रतिमा का स्वरूप शुभ होना चाहिए। विशेष रूप से चतुर्भुज गणेश जी की मूर्ति शुभ मानी जाती है। इनकी चार भुजाए होते हैं, जिनमें से एक में मोदक, दूसरे में पाश, तीसरे में अंकुश और चौथे हाथ से वरमुद्रा में होता है। ऐसी मूर्ति घर में सुख और समृद्धि लाती है।
2. गणपती की दिशा और मुद्रा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेशजी की मूर्ति को लाते समय उनकी दिशा और मुद्रा पर ध्यान देना चाहिए। कभी भी गणेश जी का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके नहीं रखना चाहिए। वहीं, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे गणेशजी की मूर्ति को घर में स्थापित करें। उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा समृद्धि और शांति का प्रतीक मानी जाती है।
3. गणेश जी की प्रतिमा का रंग
वास्तु शास्त्र में, गणेश जी की मूर्ति का रंग भी महत्वपूर्ण है। श्वेत रंग की गणेश जी की मूर्ति घर में सुख-शांति और समृद्धि लाती है। यदि परिवार में किसी प्रकार की अशांति या विवाद हो, तो सफेद रंग की मूर्ति को स्थापित करना लाभकारी माना गया है। वहीं, लाल रंग के गणेश जी की मूर्ति को ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
4. मिट्टी की मूर्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेशजी की प्रतिमा मिट्टी अथवा गाय के गोबर से बनी होनी चाहिए। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, अब प्लास्टर ऑफ पेरिस pop की मूर्तियों की बजाय मिट्टी की मूर्तियों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि पारंपरिक और धार्मिक मान्यताओं का भी पालन करती है। मान्यताओं के अनुसार मिट्टी की मूर्ति घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि करती है।
5. गणेश मूर्ति का आकार
वास्तु शास्त्र के अनुसार, श्री गणेशजी की मूर्ति का आकार भी प्रभावकारी है। घर में बहुत बड़ी प्रतिमा की स्थापना नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, छोटी और मध्यम आकार की मूर्ति को घर में रखना शुभ माना जाता है। इससे घर में स्थान का संतुलन भी बना रहता है और मूर्ति की स्थापना में किसी प्रकार की समस्यानहीं आती है।
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