बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉ शहनाज और जूनियर डॉक्टरों की हैवानियत, एक युवक को कमरे में बंद कर पीटा*

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गोरखपुर :अभी गोरखपुर के चर्चित डॉ अनुज सरकारी और पंकज कुमार कॉस्टेबल का विवाद ठंढ़ा नही हुआ था कि
सीएम सिटी के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों की गुंडई एक
बार फिर सामने आई है महराजगंज जिले से अपनी बीमार दादी का इलाज
कराने आए एक युवक का आरोप है कि10 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने बुरी
तरह पीटा। आरोप है कि शनिवार सुबह उसे एक कमरे में बंद करके पीटा गया और फिर जबरन एक समझौता पेपर पर
हस्ताक्षर करवा लिया गया।
दरअसल, महराजगंज जिले के चौक इलाके के भगवानपुर निवासी ऐश्वर्य पति
त्रिपाठी की दादी की तबियत बिगड़ने पर उन्हें शुक्रवार शाम बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। उन्हें रातवार्ड नंबर 5 के बेड नंबर 56 पर
शिफ्ट कर दिया गया। शनिवार सुबह करीब 8.30 बजे डॉक्टर शाहनवाज
जांच के लिए पहुंचे और रिपोर्ट मांगी।

पीड़ित ऐश्वर्य ने बताया कि रिपोर्ट 9 बजे के बाद मिलेगी, की डॉक्टर ने इसी
बात पर गुस्से में गालियां देनी शुरू कर दीं।ऐश्वर्य ने विरोध किया, तो डॉक्टर
शाहनवाज ने 10 से 12 जूनियर डॉक्टरों को बुलाया और युवक को एक कमरे में
ले जाकर बुरी तरह से पीटा। कार्यवाही से बचने के लिए एक सीनियर डॉक्टर ने
पुलिस की मदद से जबरन समझौता करा दिया।
*👉क्या हुआ घटना के बाद*
घटना के बाद सीनियर डॉक्टरों
ने युवक को आरोपितों की पहचान के लिए बुलाया, लेकिन संबंधित जूनियर
डॉक्टरों ने अपने फोन बंद कर दिए और
लापता हो गए। पीड़ित युवक ने गुलरिहा
पुलिस को लिखित शिकायत दी । जिसके
बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद
से आरोपी जूनियर डॉक्टरों ने अपने फोन
बंद कर दिए हैं और उनकी कोईजानकारी नहीं मिल रही है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मामले की जांच के
आदेश दिए हैं।
बता दें कि यहां लगे अधिकतर सी-टीवी कैमरे जान बूझकर खराब कर दिए गए हैं,तथा जूनियर डॉक्टर मारपीट
करने के लिए लोगों को पकड़कर ऐसी जगह पर लेकर जाते हैं ,जहां कैमरे की
नजर से बच सकें। यदि किसी मरीज या उसके परिजन द्वारा कभी वीडियो बनाने
का प्रयास किया जाता है, तो सभी स्टाफ मिलकर उसका बुरा हाल कर देते हैं।अभी ऐसी घटना कोई नई बात नही है
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों द्वारा मरीजों और उनके परिजनों
से मारपीट की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं लेकिन आज तक न तो
बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया है और न ही सूबे की योगी सरकार और यूपी का स्वास्थ्य विभाग ही इसे
रोकने के प्रति गंभीर नजर आता है।