बस्ती: गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण कीचड़ में चलने के लिए मजबूर

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बस्ती। रुधौली नगर से 3 किमी दूर धन्सा पंचायत के गांव धन्सा में पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण ग्रामीण कीचड़ में चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। धन्सा गांव मुख्य मार्ग से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित है इस गांव में लगभग 50-60 परिवार के लगभग ढाई सौ ग्रामीण निवास करते हैं।



गांव की विकास की पहचान वहां की सड़कों से होती है लेकिन आज भी जनपद जबेरा में कई गांव ऐसे जहां के ग्रामीणों को शासन-प्रशासन से सड़क की दरकार बनी हुई है।

गांव की विकास की पहचान वहां की सड़कों से होती है लेकिन आज भी जनपद बस्ती में कई गांव ऐसे जहां के ग्रामीणों को शासन-प्रशासन से सड़क की दरकार बनी हुई है। नगर पंचायत रुधौली अंतर्गत गांव धंसा जहां की कीचड़ से गड्डों युक्त पगडंडी रास्ता देख कर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार सिर्फ विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत सरकार के विकास के दावे को खोखला साबित कर रही है।

कीचड़ भरे पगडंडी रास्ते से स्कूली बच्चों मरीजों बुजुर्गों तो मुश्किल सफर तय करना पड़ता है हर वर्ष वर्षा के मौसम में पगडंडी रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है। गड्ढों में भरे पानी की वजह से यहां दुर्घटना घटित होने का खतरा बना रहता है वर्षा के बाद इसकी स्थिति और भी बदतर हो जाती है। पगडंडी रास्ते से गुजरने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है वर्तमान में यह पगडंडी रास्ता कीचड़ से सना हुआ है ग्रामीणों को शासन प्रशासन से पक्की सड़क की दरकार है।

बस्ती जिले के विकासखंड रुधौली धंसा गांव के रास्ते से संबंधित मामला है। जानकारी के अनुसार ग्रामीणों ने बताया कि कई बार ग्राम सभा प्रधान तथा ब्लॉक के अधिकारियों को रास्ते के बारे में बताने के बाद भी लोगों ने इस पर कोई अमल नहीं किया। गांव में 100 पर्सेंट लोग इस रास्ते से गुजर कर जाते हैं। आपको बताते चले कि रामसूरत के घर से हबीब के घर तक आरसीसी सड़क तो बन गई थी लोगों को कोई आने-जाने में दिक्कत नहीं था। लेकिन वर्तमान प्रधान द्वाराउपरोक्त सड़क कोदोबाराजब बनाया गया तोआधा ही रास्ता आरसीसी किया गयाऔर आधे को छोड़ दिया गया इस समय अगर इस पर धान की रोपाई कर दिया जाए तो यहां पर धान तैयार हो जाएगा।

हमने जब यह मामला गांव के सेक्रेटरी से कहा तो उन्होंने कहा कि इसका हमारे पास कोई बजट नहीं आया था। और गांव के प्रधान साढे सात साल। हाथों से प्रधानी नहीं जाने दिया लेकिन यह सड़क उनकी नजर में अभी तक नहीं आया।

रिपोर्ट -सुशील शर्मा