बहराइच: जिनके साथ खेलता था, उन्हीं कुत्तों ने घेरकर मार डाला: बच्चों ने बंदर की निकाली शव यात्रा, सनातनी संस्कृति के अनुसार अंतिम संस्कार

178

कुत्तों के हमले में बंदर की मौत, हिंदू रीति-रिवाज के साथ ग्रामीणों ने किया अंतिम संस्कार

Bahraich News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बंदर की शव यात्रा निकाली गई और हिंदू रीति रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया. कुत्तों के हमले में बंदर की जान चली गई थी. बंदर की शव यात्रा में बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हुए.

बहराइच के जरवल थाना क्षेत्र इलाके में कुत्तों हमले में एक बंदर की मौत हो गई

ग्रामीणों ने हिन्दू रीति-रिवाज के साथ बंदर की शव यात्रा निकालकर अंतिम संस्कार किया

उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच के जरवल थाना क्षेत्र इलाके में कुत्तों हमले में एक बंदर की मौत हो गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने हिन्दू रीति-रिवाज के साथ बंदर की शव यात्रा निकालकर अंतिम संस्कार किया. ग्रामीणों ने पहले बंदर की शव यात्रा निकाली, जिसमे बच्चों के साथ कई लोग शामिल हुए और राम नाम सत्य है का उदघोष करते हुए बंदर के शव को दफनाया.

दरअसल, जरवल थाना क्षेत्र के हसना धवरिया गांव में कुत्तों के हमले में एक बंदर की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि मृतक बंदर कुत्तों के साथ खेलता था. बुधवार को उसी बंदर को कुत्तों ने घेरकर मार डाला और उसके साथ खेलने वाला एक भी कुत्ता उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया. वहीं बंदर जिन बच्चों को अक्सर काट लेता था वो बच्चे सामने आए और मृत बंदर की शव यात्रा पूरे रीति-रिवाज के साथ किया गया.

कुत्तों की वफादारी दुनिया में एक मिसाल है। कुत्ते अपने मालिक की रक्षा करने के लिए कई बार अपनी जान तक दे देते हैं, लेकिन बहराइच में एक बंदर को कुत्तों से दोस्ती करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। जिन कुत्तों के साथ वो रोज़ उछल कूद मचाता था, साथ खेलता था और पूरे गांव में कुत्तों और बंदर की दोस्ती चर्चा का विषय थी, अचानक उन्हीं कुत्तों ने बंदर पर हमला करके उसे घेरकर मार डाला। बंदर की मौत के बाद गांव के समाजसेवी और बच्चों ने सनातनी संस्कृति के अनुसार बंदर का अंतिम संस्कार किया है। ये मामला उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के थाना क्षेत्र जरवलरोड में पड़ने वाले ग्राम पंचायत धवरिया का है। इस गांव में एक बंदर गांव के कुत्तों के साथ घूमता, उछलता कूदता और साथ रहता था। बंदर गांव के बच्चों के साथ भी उछलकूद मचाया करता था। पूरे गांव और आस पड़ोस में बंदर और कुत्तों की दोस्ती चर्चा का विषय बन गई थी।

बताया जाता है कि बंदर कुत्तों के साथ खेल रहा था, तो अचानक कई कुत्तों ने बंदर को घेर कर मार डाला, जिन कुत्तों को बंदर दोस्त समझ कर उनके साथ खेला करता था, उन्हीं कुत्तों ने बंदर की जान लेली। बंदर की मौत के बाद समाजसेवी राजेश श्रीवास्तव के साथ गांव के बच्चों ने बंदर के शव को कांधा दे कर सनातनी संस्कृति के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया।