भ्रामक खबर चलाने को लेकर दीपक गुप्त ने अधिवक्ता के मध्यम से अमर उजाला के संपादक को भेजा लीगल नोटिस

454

महराजगंज। बीते दिनों निचलौल तहसील में खतौनी निकालने के नाम पर अधिक चार्ज और आउट सोर्सिंग लोगो से काम करवाने का विरोध समाजसेवी दीपक गुप्त द्वारा किया गया था। उसी दौरान रजनीश त्रिपाठी और दीपक गुप्त से एक कचहरी के मुंशी से कहासुनी हो गया।यह बात आग की तरह अधिवक्ताओं के बीच फैल गया।रजनीश त्रिपाठी और दीपक गुप्त को उपजिलाधिकारी कार्यालय में लाया गया और उपजिलाधिकारी सत्य प्रकाश मिश्र के सामने ही अधिवक्ताओं द्वारा समाजसेवी दीपक गुप्त के साथ मारपीट और बदसलूकी किया गया।उपजिलाधिकारी द्वारा कागजी खानापूर्ति करते हुए रजनीश त्रिपाठी और दीपक गुप्त के बीच एक सुलहनामा लिखवाकर मामला शांत करा दिया गया।

घटना किसी और से सुलहनामा किसी और के नाम।

मामला समाजसेवी दीपक गुप्त और अधिवक्ताओं के बीच हुआ लेकिन समझौते का कागज रजनीश त्रिपाठी और दीपक गुप्त के बीच बनवाया गया जिसको एक दूसरे को कोई जानता तक नही हैं।रजनीश त्रिपाठी स्वयं खेत की खतौनी निकलवाने आये थें और उनसे भी 15 के जगह 20 रुपये मांगे गये थें। जिस कारण वह भी अवैध वसूली से परेशान थें।इस खबर को अमर उजाला समाचार पत्र ने समाजसेवी दीपक गुप्त को माफीनामा लिख कर देने का बात प्रकाशित किया इतना ही नही इनका पक्ष लिए बिना ही इनका कथन प्रकाशित किया तथा उपजिलाधिकारी निचलौल का भी बयान प्रकाशित किया जिसमें उपजिलाधिकारी निचलौल द्वारा माफीनामे के बाद छोड़वा देने की बात प्रकाशित किया गया है।जबकि समाजसेवी दीपक गुप्त के द्वारा किसी भी प्रकार का माफीनामा या बयान नही दिया गया है।दीपक गुप्त का आरोप हैं कि भ्रामक प्रचार प्रसार करके हमारे छबि को धूमिल किया गया है तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। दीपक गुप्त ने सोमवार को अपने अधिवक्ता के माध्यम से अमर उजाला के संपादक गोरखपुर को रजिस्टर्ड डाक से लीगल नोटिस भेज कर माफीनामे की कापी और बयान की साक्ष्य व उपजिलाधिकारी निचलौल द्वारा दी गयी मामले की जानकारी का साक्ष्य की मांग किए है।नोटिस में लिखा गया हैं कि नोटिस मिलने के 15दिन के अंदर साक्ष्य प्रस्तुत करे अन्यथा बाध्य होकर आईपीसी की धारा 499 के तहत कार्यवाही की जाएगी।